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शिवसेना और पूर्व CJI हुए आमने-सामने, कहा- क्या राजनीतिक पार्टियां हमें सिखाएंगी

by Reeta Rai Sagar
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मुंबई : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद से ही संजय राउत ने पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को अपने निशाने पर लिया हुआ है। उनका कहना था कि विधायकों की योग्यता वाली याचिका पर पूर्व सीजेआई ने सुनवाई नहीं की। इसलिए राजनेताओं के भीतर से कानून का डर खत्म हो गया है।

यह चीफ जस्टिस तय करेंगे, कोई पार्टी नहीं

अब राउत के सभी आरोपों का जवाब देते हुए सीजेआई ने कहा है कि हम किस याचिका की सुनवाई करेंगे या नहीं करेंगे, ये भी हमें राजनेता सिखाएंगे क्या। शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने महाविकास अगाड़ी को मिली हार का जिम्मेदार बताया है। अब राउत के सभी आरोपों का पूर्व सीजेआई ने जवाब दिया है। उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट किस मामले की सुनवाई को प्राथमिकता देगा, यह तय करना चीफ जस्टिस का काम है। कोई भी शख्स या फिर कोई पार्टी यह तय नहीं करेगी।

यह अधिकार केवल चीफ जस्टिस का है…

26 नवंबर को पूर्व जस्टिस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पूरे साल हम मौलिक और संवैधानिक मामलों की सुनवाई करते हैं। हमने कई मुद्दों पर सुनवाई की है, जिसमें 9 जज, 7 जज और 5 जजों की बेंच में आए मामले भी शामिल हैं। क्या अब किसी एक पक्ष का व्यक्ति तय करेगा कि सुप्रीम कोर्ट किस मामले की सुनवाई करेगा। यह अधिकार केवल चीफ जस्टिस का है।

क्या कहा था संजय राउत ने

गौरतलब है कि जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को हार का सामना करना पड़ा, तो संजय राउत ने हार के बाद मीडिया से मुखातिब होते हुए कई इल्जाम लगाए, जिसमें उन्होंने पूर्व सीजेआई को खूब खरी-खोटी सुनाई थी। 288 सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में एमवीए को केवल 49 सीटें ही मिलीं।

हम एक मिनट भी काम न करें, तो आप आलोचना…..

पूर्व जस्टिस का कहना है कि हमें काम के जो समय मिले, उसमें से एक मिनट भी काम नहीं करते हैं तो आप हमारी आलोचना कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में 20 साल से जरूरी संवैधानिक मामले लंबित हैं। ये भी कहा जा सकता है कि सुप्रीम कोर्ट 20 साल पुराने मामलों की सुनवाई क्यों नहीं कर रहा है। यदि पुराने मामलों की सुनवाई होती, तो नए मामले न लेने का आरोप लगता।

पुराने मामलों का भी किया जिक्र

आगे पूर्व सीजेआई ने कई मामलों की याद दिलाते हुए कहा कि असली समस्या यह है कि राजनीतिक गुट ऐसा समझाता है कि अगर आप मेरे एजेंडे का पालन करते हैं, तो आप स्वतंत्र हैं। हमने चुनावी बॉन्ड पर फैसला किया, क्या वो जरूरी नहीं था। हमने उत्तर प्रदेश के मदरसा अधिनियम मामले और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी सहित दूसरे मामलों पर आए फैसलों के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि हमने अपने पूरे कार्यकाल में 38 संविधान पीठ के संदर्भों पर फैसला किया।

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