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Diwali Sonpapdi Memes: ‘सोनपापड़ी री मेरी सोनपापड़ी’, दिवाली में सिर्फ मुंह नहीं, मन में भी घुल जाती है मिठास

सोनपापड़ी की खासियत उसकी कुरकुरी और हल्की मिठास है।

by Rakesh Pandey
'Sonpapadi ri meri sonpapadi', sweetness dissolves not only in the mouth but also in the mind during Diwali
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फीचर डेस्क: सोनपापड़ी एक ऐसी मिठाई है, जो दिवाली में अक्सर एक-दूसरे के घर में भेंट स्वरूप दी जाती है। इसकी मिठास सिर्फ मुंह तक नहीं बल्कि दिलों में भी प्रेम का रस घोल देती है। इतना ही नहीं, इस दौरान स्क्रीन पर भी इसके ऐड और सोशल मीडिया पर इसपर मीम्स खूब ट्रेंड पर रहते हैं।यह मिठाई विशेष रूप से त्योहारों और खास मौकों पर बनाई जाती है। यह मिठाई मुख्यतः महाराष्ट्र और उत्तर भारत में लोकप्रिय है। इसकी खासियत यह है कि इसे बनाने में केवल कुछ साधारण सामग्री की आवश्यकता होती है, लेकिन इसका स्वाद और बनावट इसे खास बनाते हैं।

सोनपापड़ी का इतिहास


सोनपापड़ी का नाम “सोना” और “पापड़ी” से लिया गया है, जिसमें “सोना” का अर्थ होता है सोने जैसा, यानि इसकी चमक और रंग। इस मिठाई का इतिहास काफी पुराना है और यह भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है। सोनपापड़ी को प्राचीन समय से विभिन्न अवसरों पर बनाया जाता रहा है, और आज भी यह मिठाई भारतीय मिठाई की दुनिया में एक अनूठा स्थान रखती है।

सामग्री


सोनपापड़ी बनाने के लिए मुख्य सामग्री में गेंहू का आटा, घी, चाशनी (चीनी और पानी का मिश्रण) और इलायची पाउडर शामिल होते हैं। कभी-कभी इसमें सूखे मेवे जैसे काजू, बादाम, और किशमिश भी मिलाए जाते हैं, जो इसे और भी स्वादिष्ट बनाते हैं।

बनाने की विधि
सोनपापड़ी बनाने की प्रक्रिया काफी सरल है, लेकिन इसमें समय और धैर्य की आवश्यकता होती है।

आटा गूंधना: सबसे पहले गेंहू का आटा और घी को मिलाकर एक सख्त आटा गूंधा जाता है।
पत्तियों में बेलना: गूंधे हुए आटे को छोटे-छोटे भागों में बांटकर पतली पत्तियों में बेल लिया जाता है।

चाशनी तैयार करना: एक अलग बर्तन में चीनी और पानी डालकर चाशनी बनाई जाती है। सोनपापड़ी की चाशनी मध्यम गाढ़ी होनी चाहिए। सोनपापड़ी बनाने के लिए उसकी चाशनी कैसी हो, यह बहुत महत्वपूर्ण होता है।

पत्तियों को सेंकना: बेलकर तैयार की गई पत्तियों को तवे पर सेंका जाता है जब तक कि वे सुनहरे भूरे रंग की न हो जाएं।

सजावट: सेंकी हुई पत्तियों को चाशनी में डुबोकर, फिर सूखे मेवों से सजाया जाता है। अंत में, उन्हें काटकर टुकड़ों में परोसा जाता है।

स्वाद और विशेषताएं

सोनपापड़ी की खासियत उसकी कुरकुरी और हल्की मिठास है। जब इसे चबाया जाता है, तो यह मुंह में घुल जाती है, जो इसे खास बनाती है। इसके साथ ही, इलायची का स्वाद इसे एक अनूठा तड़का देता है।

त्योहारों में महत्व

सोनपापड़ी विशेष रूप से दिवाली, गणेश चतुर्थी, और अन्य धार्मिक त्योहारों पर बनाई जाती है। इसके सुंदर स्वरूप और स्वाद के कारण, सोनपापड़ी का स्थान भारतीय मिठाई की श्रृंखला में सबसे ऊपर है।

सोनपापड़ी एक ऐसी मिठाई है जो सिर्फ स्वाद में ही नहीं, बल्कि अपने बनाने के तरीके और सामग्री के कारण भी विशेष है। इसकी कुरकुरी बनावट और मिठास, इसे हर उम्र के लोगों का पसंदीदा बनाती है। चाहे त्योहार हो या कोई विशेष अवसर, सोनपापड़ी हर मौके पर आनंद और मिठास का अनुभव देती है। इसलिए, अगली बार जब आप कोई खास अवसर मनाएं, तो सोनपापड़ी को अपने मेहमानों के लिए जरूर तैयार करें।

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