Home » Shibu Soren : झारखंड नामकरण के नायक थे दिशोम गुरु शिबू सोरेन, ‘वनांचल’ नाम के खिलाफ बुलंद की थी आवाज

Shibu Soren : झारखंड नामकरण के नायक थे दिशोम गुरु शिबू सोरेन, ‘वनांचल’ नाम के खिलाफ बुलंद की थी आवाज

भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी 'वनांचल' नाम के पक्ष में थे, लेकिन जब शिबू सोरेन ने ‘झारखंड’ नाम के पक्ष में अपने ऐतिहासिक और भावनात्मक तर्क रखे, तो उन्होंने भी समर्थन दिया

by Mujtaba Haider Rizvi
jharkhand shiibu soren
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

Ranchi News : झारखंड राज्य की स्थापना के समय राज्य का नाम रखने को लेकर जब मंथन शुरू हुआ, तो दिशोम गुरु शिबू सोरेन इसका नाम झारखंड रखने पर अड़ गए। इसे लेकर उन्होंने आवाज उठाई थी और कहा था कि राज्य का नाम झारखंड ही रखा जाए।

झारखंड आंदोलन के पुरोधा और आदिवासी अस्मिता के प्रतीक दिशोम गुरु शिबू सोरेन अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार सुबह दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से न केवल झारखंड, बल्कि पूरे आदिवासी समाज में शोक की लहर है। राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

राज्य का नाम ‘झारखंड’ रखने में अहम भूमिका

पूर्व विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “अगर दिशोम गुरु शिबू सोरेन नहीं होते, तो आज इस राज्य का नाम झारखंड नहीं होता। उन्होंने इस नाम में ही पूरे आदिवासी समाज की अस्मिता, संस्कृति और संघर्ष को समेट दिया।”

वनांचल नाम का विरोध

इंदर सिंह नामधारी ने याद किया कि जब बिहार से अलग होकर एक नए राज्य के गठन की प्रक्रिया अंतिम दौर में थी, तब केंद्र की एनडीए सरकार ने बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने को कहा। उस समय कुछ नेताओं ने नए राज्य का नाम ‘वनांचल’ रखने का सुझाव दिया था। लेकिन शिबू सोरेन ने इसका कड़ा विरोध किया और स्पष्ट कहा, “यह राज्य केवल झारखंड ही कहलाएगा।” उन्होंने यह तर्क दिया कि ‘झारखंड’ नाम केवल एक भूगोल नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक आंदोलन की आत्मा है।

सुशील मोदी का विरोध और समर्थन

नामधारी ने बताया कि उस समय भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ‘वनांचल’ नाम के पक्ष में थे। लेकिन जब शिबू सोरेन ने ‘झारखंड’ नाम के पक्ष में अपने ऐतिहासिक और भावनात्मक तर्क रखे, तो उन्होंने भी समर्थन दिया। मोदी ने कहा था, “जब दक्षिण बिहार के आदिवासियों की आत्मा झारखंड नाम से जुड़ी है, तो हमें उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।” इसके बाद सभी दलों की सहमति से राज्य का नाम ‘झारखंड’ रखा गया।

आंदोलन की आत्मा था ‘झारखंड’

इंदर सिंह नामधारी ने कहा, “शिबू सोरेन एक व्यक्ति नहीं, एक विचार और चेतना थे। वह केवल राजनीतिक सीमाओं के निर्माता नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान के स्थापक थे।” उन्होंने यह भी कहा कि आने वाली पीढ़ियों को उनका यह निर्णय हमेशा प्रेरणा देता रहेगा।

Read also Shibu Soren : झारखंड के ‘दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन के निधन पर राजनीतिक जगत में शोक की लहर, PM ने गहरा दुख व्यक्त किया

Related Articles

Leave a Comment