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Naresh Kejriwal : कौन हैं नरेश केजरीवाल, क्या है 900 करोड़ का रहस्य!

रांची से लेकर विदेशों तक अलर्ट, विदेशी कंपनियों, हवाला नेटवर्क और संदिग्ध सौदों की गुत्थी सुलझाने में जुटा ED

by Anand Kumar
Naresh Kejriwal
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RANCHI : राजधानी रांची के चर्चित चार्टर्ड अकाउंटेंट नरेश कुमार केजरीवाल एक बार फिर सुर्खियों में हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने मंगलवार सुबह से रांची, मुंबई और सूरत में उनके कुल 15 ठिकानों पर व्यापक छापामारी शुरू कर दी है। यह कार्रवाई दो कानूनों—धन शोधन निवारण अधिनियम और विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम—के तहत की जा रही है। झारखंड में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत की गई यह प्रवर्तन निदेशालय की पहली बड़ी कार्रवाई है, जिसने कारोबारी और राजनीतिक हलकों में तीखी हलचल पैदा कर दी है।

कौन हैं नरेश केजरीवाल? राजनीति से भी गहरा जुड़ाव

नरेश केजरीवाल रांची के उन चुनिंदा चार्टर्ड अकाउंटेंट्स में गिने जाते हैं जिनकी पकड़ व्यापारिक जगत से लेकर राजनीतिक गलियारों तक बताई जाती है। कई प्रभावशाली राजनीतिक परिवारों से उनके संबंधों की चर्चा लंबे समय से होती रही है। वे कई बड़ी कंपनियों को वित्तीय परामर्श देते रहे हैं, लेकिन अब वे एक गंभीर जांच के घेरे में आ चुके हैं।

विदेशों में छिपी विदेशी कंपनियां और 900 करोड़ का खेल

आयकर विभाग की पिछली जांच में हैरान करने वाला खुलासा हुआ था—
नरेश केजरीवाल ने संयुक्त अरब अमीरात, नाइजीरिया और अमेरिका में कई अघोषित विदेशी कंपनियां गठित की थीं।
इन कंपनियों का संचालन भारत में बैठकर ही किया जाता था।
इनमें लगभग 900 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जमा की गई, जिसका कोई वैध स्रोत या स्पष्ट हिसाब उपलब्ध नहीं है।

यही नहीं, इन विदेशी कंपनियों को सरकारी अभिलेखों में कहीं दर्ज नहीं किया गया था, जिससे यह पूरा नेटवर्क और भी संदिग्ध हो गया।

1500 करोड़ रुपये देश में वापस भेजने के प्रमाण

जांच एजेंसियों का दावा है कि इन विदेशी कंपनियों के माध्यम से करीब 1500 करोड़ रुपये फर्जी तार संदेश (टीटी) के जरिए भारत भेजे गए।
किसने यह राशि भेजी?
पैसा कहां से आया?
भारत में आकर कहां और कैसे खर्च हुआ?
ये सभी सवाल अब प्रवर्तन निदेशालय के मुख्य जांच बिंदु हैं।

हवाला, परतदार लेनदेन और गोपनीय नेटवर्क का संदेह

जांचकर्ताओं को आशंका है कि यह पूरा ढांचा हवाला और परतदार लेनदेन के जरिए अवैध पूंजी को छिपाने के लिए तैयार किया गया था।
कई धनराशियां विभिन्न खातों और फर्जी कंपनियों के माध्यम से घुमाकर वास्तविक स्रोत को गुप्त रखा गया।

इसी वजह से प्रवर्तन निदेशालय सभी स्थानों से जब्त डिजिटल उपकरणों, बैंक ब्यौरों और गोपनीय दस्तावेजों की गहन जांच कर रहा है।

ईडी की कार्रवाई से हवाला नेटवर्क में चिंता

प्रवर्तन निदेशालय की यह छापामारी केवल एक व्यक्ति पर केंद्रित नहीं मानी जा रही, बल्कि माना जा रहा है कि इससे सीमा-पार अवैध लेनदेन के एक बड़े जाल का खुलासा हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कई और नाम सामने आ सकते हैं।

900 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेनदेन पर नजर

रांची के इस नामी चार्टर्ड अकाउंटेंट के खिलाफ विभिन्न एजेंसियों की जांच में लगभग 900 करोड़ रुपये के संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की बात सामने आई है। इन्हीं तथ्यों के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने अब व्यापक कार्रवाई शुरू की है। फिलहाल छापामारी जारी है और जांच एजेंसियां दस्तावेजों तथा इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की छानबीन कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला झारखंड में वित्तीय अनियमितताओं और विदेशी निवेश के दुरुपयोग से जुड़ी अब तक की सबसे गंभीर कार्रवाइयों में से एक साबित हो सकता है।

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