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Cyber Crime in Jharkhand: झारखंड में साइबर अपराध बेलगाम, 41 माह में 481 करोड़ की हो गई ठगी

NCCRP पर शिकायत दर्ज कराने के बावजूद झारखंड में बहुत कम मामलों में प्राथमिकी दर्ज होती है।

by Reeta Rai Sagar
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• Jamtara से Dubai तक फैला साइबर फ्रॉड का नेटवर्क, NCCRP रिपोर्ट में खुलासा

रांची : झारखंड में साइबर अपराध के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। पुलिस और एजेंसियों की तमाम कोशिशों के बावजूद साइबर ठगों पर लगाम नहीं लग पा रही है। नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (NCCRP) के आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट के अनुसार जनवरी 2022 से 12 जून 2025 तक यानी 41 महीने और 12 दिन में 481 करोड़ रुपये की साइबर ठगी को अंजाम दिया गया है।
यह डेटा झारखंड में सक्रिय साइबर अपराधियों की खतरनाक रणनीति और बढ़ते नेटवर्क की ओर इशारा करता है।

दो लेयर में काम करता है झारखंड का साइबर मॉड्यूल

साइबर अपराध पर नजर रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, झारखंड में दो स्तरों पर साइबर ठगी का मॉड्यूल काम कर रहा है:
• पहला मॉड्यूल : जामताड़ा और देवघर से संचालित होता है, जहां 10 लाख रुपये तक के फ्रॉड को अंजाम दिया जाता है।
• दूसरा मॉड्यूल : चीन और अब दुबई से जुड़ा हुआ है, जो करोड़ों की अंतरराष्ट्रीय स्तर की साइबर ठगी को अंजाम दे रहा है।
ठगी के जरिए वसूली गई राशि कई माध्यमों से चीन और दुबई में बैठे साइबर सरगनाओं तक पहुंचा दी जाती है।

44 हजार से अधिक शिकायतें, 481 करोड़ की ठगी

NCCRP के अनुसार, झारखंड में बीते 41 माह 12 दिनों में 44,564 साइबर अपराध शिकायतें दर्ज की गई हैं। इनमें 481 करोड़ रुपये की ठगी की बात सामने आई है। वर्ष वार आंकड़े इस प्रकार हैं…

• 2022 : 6,917 शिकायतें – ₹23 करोड़ की ठगी
• 2023 : 10,102 शिकायतें – ₹68 करोड़ की ठगी
• 2024 : 17,633 शिकायतें – ₹297 करोड़ की ठगी
• 2025 (जनवरी से 12 जून): 9,912 शिकायतें – ₹93 करोड़ की ठगी

झारखंड में क्यों नहीं होती FIR, तेलंगाना बना मिसाल

NCCRP पर शिकायत दर्ज कराने के बावजूद झारखंड में बहुत कम मामलों में प्राथमिकी दर्ज होती है। ज्यादातर लोग 1930 हेल्पलाइन या पोर्टल के जरिए ऑनलाइन शिकायत तो करते हैं, लेकिन थानों तक नहीं पहुंचते।
• झारखंड में 2022 से मार्च 2025 तक केवल 3,634 प्राथमिकी दर्ज हुई हैं।
• इसके विपरीत तेलंगाना राज्य में स्थिति बिल्कुल अलग है। वहां NCCRP पर दर्ज हर शिकायत सीधा थानों में FIR में तब्दील हो जाती है।

ऐसा इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि तेलंगाना पुलिस का सिस्टम NCCRP और CCTNS (Crime and Criminal Tracking Network & System) पूरी तरह इंटीग्रेटेड है।

झारखंड में यह तकनीकी सुविधा अब तक विकसित नहीं की जा सकी है, जिस कारण पोर्टल और पुलिस के डेटा में भारी अंतर बना रहता है।

झारखंड में साइबर अपराध की रफ्तार तेज होती जा रही है। एक ओर जहां जामताड़ा और देवघर जैसे छोटे शहरों से लाखों की ठगी हो रही है, वहीं दूसरी ओर दुबई और चीन जैसे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से करोड़ों का खेल खेला जा रहा है। ऐसे में जरूरत है कि राज्य सरकार तेलंगाना मॉडल को अपनाए और FIR सिस्टम को NCCRP से जोड़कर साइबर ठगों पर कड़ी नकेल कसे।

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