नई दिल्ली : दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट का रनवे 10/28 आगामी 15 जून से 90 दिनों के लिए बंद किया जाएगा। यह बंदी रनवे के इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) को कैट III-बी तकनीक से अपग्रेड करने के लिए की जा रही है। यह अत्याधुनिक प्रणाली घने कोहरे जैसी स्थितियों में भी विमानों की सुरक्षित लैंडिंग को संभव बनाएगी।
दिल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (डायल) के सीईओ विदेह कुमार जयपुरियार के अनुसार, इस बंदी का हवाई अड्डे की कुल उड़ान संचालन क्षमता पर लगभग 20 से 25 प्रतिशत तक असर पड़ सकता है। चूंकि आईजीआई प्रतिदिन औसतन 1,450 उड़ानें संभालता है, ऐसे में करीब 300 से 350 उड़ानों के प्रभावित होने की संभावना जताई जा रही है। इन उड़ानों में कुछ रद्द की जा सकती हैं, जो करीब 110 से 114 तक हो सकती है। जबकि कई के समय में बदलाव किया जाएगा।
उन्नत तकनीक से लैस होगा रनवे
रनवे 10/28 पर कैट III-बी अपग्रेड के तहत नया आईएलएस सिस्टम लगाया जाएगा, जिससे 50 मीटर से भी कम दृश्यता में विमान उतारना संभव होगा। इसके साथ ही रनवे की लाइटिंग सिस्टम को 650 मीटर से बढ़ाकर 900 मीटर किया जाएगा। यह अपग्रेड विशेष रूप से दिल्ली की सर्दियों में कोहरे की समस्या को ध्यान में रखकर किया जा रहा है, ताकि उड़ान संचालन बाधित न हो।
अप्रैल में असफल रहा था पहला प्रयास
उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2025 में इस अपग्रेड की कोशिश की गई थी, लेकिन पूर्वी हवाओं के कारण रनवे संचालन प्रभावित हुआ और चार सप्ताह में ही काम रोकना पड़ा। उस दौरान 400 से ज्यादा उड़ानें या तो रद्द की गई थीं या देरी से चली थीं। इस बार गर्मियों में अपग्रेड कार्य शुरू करने का निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि कोहरा नहीं होता और यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या भी तुलनात्मक रूप से कम होती है।
यात्रियों के लिए चेतावनी और सुझाव
डायल ने एयरलाइंस और नागर विमानन मंत्रालय, डीजीसीए के साथ मिलकर विस्तृत रणनीति बनाई है ताकि उड़ान संचालन पर प्रभाव कम हो। एयरलाइंस को पहले से शेड्यूल में बदलाव और कुछ उड़ानें रद्द करने के लिए कहा गया है। यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी यात्रा की योजना बनाते समय एयरलाइन से उड़ान की स्थिति की जानकारी लें, और संभव हो तो वैकल्पिक उड़ानों या समयों पर विचार करें।
रणनीतिक महत्व और हवा की दिशा में अप्रत्याशित बदलाव के दौरान महत्वपूर्ण रनवे 10/28
आईजीआई एयरपोर्ट भारत का सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है, जहां से रोज़ करीब 1,450 उड़ानें संचालित होती हैं। इसके पास चार रनवे हैं: 11आर/29एल, 11एल/29आर, 09/27 और 10/28। इनमें से रनवे 10/28 सबसे पुराना है और द्वितीय विश्व युद्ध के समय ब्रिटिश शासन में निर्मित हुआ था। इस रनवे की पूर्व-पश्चिम दिशा इसे अन्य रनवे (जो मुख्य रूप से उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पश्चिम दिशा में हैं) के पूरक के रूप में महत्वपूर्ण बनाती है, खासकर जब हवा की दिशा में अप्रत्याशित बदलाव होता है।
विमान उड़ान और लैंडिंग के लिए हवा की दिशा के आधार पर रनवे का चयन करते हैं। विमान सामान्य रूप से हवा के विपरीत दिशा में उड़ान भरते और उतरते हैं, क्योंकि इससे लिफ्ट बढ़ती है और लैंडिंग दूरी कम होती है। दिल्ली में हवा की दिशा मौसम के आधार पर बदलती रहती है। जहां गर्मियों में हवाएं अक्सर पूर्वी दिशा से चलती हैं, जिसके कारण रनवे 10 (पश्चिम की ओर उड़ान) का उपयोग बढ़ जाता है। वहीं सर्दियों में पश्चिमी हवाएं प्रबल होती हैं, जिसके लिए रनवे 28 (पूर्व की ओर उड़ान) अधिक उपयुक्त होता है।