Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता मंत्री रामदास सोरेन का गृह जिला पूर्वी सिंहभूम (जमशेदपुर) इन दिनों आवासीय विद्यालयों में छात्राओं को दिए जा रहे कठोर और अमानवीय दंड को लेकर चर्चा में है। पटमदा प्रखंड स्थित स्कूलों से ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जो शिक्षा के मंदिर में बच्चों के उत्पीड़न की भयावह तस्वीर पेश करते हैं।
कस्तूरबा गांधी के बाद मॉडल स्कूल में भी अमानवीयता की हद
अभी पटमदा के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय बांगुड़दा में 9 छात्राओं को 200 बार कान पकड़कर उठक-बैठक करवाने के बाद 5 छात्राओं की तबीयत बिगड़ने का मामला ठंडा भी नहीं हुआ था कि गुरुवार को मॉडल स्कूल पटमदा से एक और अधिक कठोर व अमानवीय मामला प्रकाश में आया है।
यहां सातवीं कक्षा की चार छात्राओं – कल्पना दास, रासी दास, पल्लवी प्रमाणिक और नमिता बेसरा को प्रधान शिक्षिका स्नेहलता कुमारी (Snehlata Kumari) ने 500 बार कान पकड़ कर उठक-बैठक करने का शारीरिक दंड दिया। बताया जाता है कि छात्राओं की इसमें कोई गलती नहीं थी। इस अमानवीय दंड को गिनने के लिए आठवीं कक्षा की दो छात्राओं अर्पिता महतो एवं वर्षा महतो को लगाया गया था। छात्राओं ने बताया कि मात्र 160 बार उठक-बैठक करते ही कल्पना दास को असहनीय तकलीफ होने लगी, जिसके बाद सभी छात्राएं छोड़कर क्लास रूम में चली गईं।
अभिभावकों की शिकायत के बाद दोबारा प्रताड़ित करने का आरोप
इस घटना का खुलासा तब हुआ जब गुरुवार सुबह बच्चियां उठना नहीं चाह रही थीं और स्कूल जाने से साफ इनकार कर रही थीं। सख्ती से पूछताछ करने पर उन्होंने बताया कि उन्हें स्कूल में शारीरिक दंड मिला था, जिस कारण आज शरीर में काफी कष्ट हो रहा है। नमिता बेसरा इस घटना के कारण स्कूल से अनुपस्थित रही, जबकि बाकी तीनों छात्राएं जैसे-तैसे स्कूल पहुंचीं।
मामला सामने आने पर जब अभिभावकों ने प्राचार्य से शिकायत की, तो उनका जवाब बेहद चौंकाने वाला था। प्राचार्य ने कहा कि “स्कूल में स्टाफ कम है और मैं कॉपी चेक करने में व्यस्त थी, इसलिए 500 बार उठक-बैठक करने के लिए बोली थी।” उन्होंने भविष्य में ऐसी गलती न होने का आश्वासन देते हुए अभिभावकों को घर भेज दिया। लेकिन, अभिभावकों के घर लौटते ही छात्राओं को दोबारा प्रताड़ित करने का सिलसिला शुरू हो गया।
स्कूल छुट्टी के बाद, बच्चियों की शिकायत पर अभिभावकों ने सभी छात्राओं को माचा स्थित सीएचसी अस्पताल पहुंचाया और इसकी शिकायत स्थानीय विधायक प्रतिनिधि चंद्रशेखर टुडू (Chandrashekhar Tudu) से की। इस घटना ने एक बार फिर शिक्षा संस्थानों में बच्चों के प्रति असंवेदनशीलता और शारीरिक दंड के दुरुपयोग पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब यह मामला स्वयं शिक्षा मंत्री के गृह जिले से जुड़ा है। अब देखना होगा कि इस मामले में प्रशासन क्या कार्रवाई करता है।