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गुजरात दंगा केस में सरकार फिर पहुंची सुप्रीम कोर्ट, याचिका खारिज

गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो नाम की महिला का सामूहिक दुष्कर्म (Gangrape) किया गया था। इसके साथ ही महिला के परिवार के 7 लोगों समेत 3 बच्चों को भी पटक-पटक कर मारा गया था।

by Reeta Rai Sagar
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Bilkis Bano Case : Supreme Court ने गुजरात सरकार की याचिका को खारिज कर दिया है। मामला बहुत पुराना है। गुजरात सरकार और बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार ने यह मांग की है कि इस मामले में आरोपियों की रिहाई पर सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणियां की थीं, दोबारा से उसकी समीक्षा की जाए। 8 जनवरी को गुजरात सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश में राज्य के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी।

26 सितंबर को जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि समीक्षा के लिए दाखिल अर्जी में कोई मेरिट नहीं है, जिसे कोर्ट के आदेश पर पुनःविचार किया जाए। आदेशों और संलग्न दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद हम इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि रिकॉर्ड में कोई गलती नहीं है, इशलिए अर्जी खारिज की जाती है।

क्या है मामला

दरअसल गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो नाम की महिला का सामूहिक दुष्कर्म (Gangrape) किया गया था। इसके साथ ही महिला के परिवार के 7 लोगों समेत 3 बच्चों को भी पटक-पटक कर मारा गया था। साल 2008 में यह मामला सीबीआई की अदालत में पहुंचा और 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई।

15 अगस्त 2022 को गुजरात सरकार ने क्षमा नीति के तहत दोषियों को रिहा कर दिया, जिसका चौतरफा विरोध किया गया। 30 नवंबर को इस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गई। 8 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार का फैसला पलट दिया और आरोपियों को दी गई छूट निरस्त कर दी गई।

इस पर कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की तकलीफ समझना जरूरी है। अपराधी को अपराध का एहसास होना चाहिए। गुजरात सरकार ने समय से पहले ही उन्हें रिहा कर दिया था। 21 जनवरी तक उन्हें दोबारा सरेंडर करने को कहा गया था। गुजरात सरकार का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में राज्य सरकार को ‘विवेक के दुरुपयोग’ का दोषी ठहराया गया था।

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