मुंबई : एक नई रिपोर्ट के अनुसार, अगले छह महीनों में भारत के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सेवा क्षेत्र में नियुक्तियों में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है। प्रौद्योगिकी में हो रहे तेज़ विकास से उद्योग और अर्थव्यवस्था को नया आकार मिल रहा है, जो रोजगार सृजन में मददगार साबित हो रहा है।
नई प्रौद्योगिकियों का रोजगार पर प्रभाव
क्वेस कॉर्प द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जनरेटिव एआई (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस), डीप टेक और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी उभरती प्रौद्योगिकियां 2030 तक 10 लाख से अधिक नौकरियों का सृजन कर सकती हैं। इस बदलाव से ना सिर्फ आईटी सेक्टर को लाभ मिलेगा, बल्कि अन्य उद्योगों में भी रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
आईटी प्रतिभा की बढ़ती मांग
क्वेस आईटी स्टाफिंग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) कपिल जोशी के अनुसार, भारत अपनी तकनीकी प्रतिभा और नवोन्मेषी दृष्टिकोण के कारण इस डिजिटल क्रांति में सबसे आगे है। उन्होंने बताया कि भारत में आईटी सेवाओं के क्षेत्र में अगले छह महीने में 10-12 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
साइबर सुरक्षा और अन्य प्रमुख कौशल की बढ़ती मांग
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के दौरान, वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) और साइबर सुरक्षा में प्रतिभा की मांग में क्रमशः 71 प्रतिशत और 58 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसके अलावा, ईआरपी, परीक्षण, नेटवर्किंग और डेटा विज्ञान जैसे प्रमुख कौशल की मांग भी बढ़ी है।
प्रौद्योगिकी सेवा कंपनियों में रोजगार में वृद्धि
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में आईटी सेवा कंपनियों में 37 प्रतिशत अधिक नियुक्तियाँ हुई हैं। इसके बाद उच्च प्रौद्योगिकी (हाई-टेक), परामर्श, विनिर्माण और बीएफएसआई (बैंकिंग, वित्तीय सेवा और बीमा) क्षेत्रों में भी नियुक्तियों में वृद्धि हुई है।
वैश्विक क्षमता केंद्रों का विस्तार
भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) के विस्तार से विभिन्न शहरों में प्रतिभा की मांग में भी वृद्धि हो रही है, जिससे अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। इस तेजी से बढ़ते डिजिटल युग में, आईटी क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं और बढ़ सकती हैं, जो आगामी छह महीनों में और मजबूत होने की उम्मीद है।