Home » Jharkhand Bureaucracy : नौकरशाही : इंतजार की इन्तहा

Jharkhand Bureaucracy : नौकरशाही : इंतजार की इन्तहा

झारखंड की नौकरशाही में अपेक्षा के अनुरूप बड़े बदलाव हुए हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हैं कि जिलों से मुख्यालय पहुंचे आइएएस अधिकारियों की जमात कब कार्मिक से मुक्त होकर विभाग की बागडोर संभालेगी। जानें क्या कुछ चल रहा अंदरखाने, द फोटोन न्यूज के एक्जीक्यूटिव एडिटर की कलम से।

by Dr. Brajesh Mishra
Jharkhand Bureaucracy
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

इन्तहा हो गई, इंतज़ार की
आई न कुछ खबर, मेरे यार की
ये हमें है यक़ीं, बेवफ़ा वो नहीं
फिर वजह क्या हुई, इंतज़ार की…


एफएम रेडियो पर फिल्म शराबी का गाना बज रहा था। किशोर कुमार और आशा भोसले की आवाज पूरे कमरे में अपना जादू बिखेर रही थी। वनांचल प्रदेश की सत्ता के गलियारे में मजबूत पकड़ का दावा करने वाले कई सूरमा अपने प्रशस्तिगान में व्यस्त थे। गुरु अपने चिरपरिचित अंदाज में मौज ले रहे थे। अचानक हुई दस्तक ने सबका ध्यान गेट की तरफ खींचा। महफिल में मगन कुछ लोगों को असमय प्रवेश पसंद नहीं आया। यह उनकी भाव-भंगिमा से साफ नजर आ रहा था। गुरु का मन शायद मौजूदा माहौल से भर गया था।

Read Also- Jharkhand Bureaucracy : नौकरशाही : कायदे के फायदे

उन्होंने दरबारियों की इच्छा के विपरीत बड़े उत्साह से स्वागत किया। आइए-आइए पत्रकार महोदय, क्या नई खबर लाए हैं नौकरशाही वाले मुहल्ले की। गुरु! खबर तो आपके पास होती है। हम लोग तो बस यूं ही भटकते रहते हैं। कभी इधर तो कभी उधर। गुरु ज्ञान के लिए यह वंदना अनिवार्य थी लिहाजा वाक्य पूरा होते ही मौन साध गया। गुरु इससे संतुष्ट नहीं हुए। शायद वह कुछ और सुनना चाहते थे।

Read Also- नौकरशाही : काले पत्थर की खोज

बोले- अरे ऐसा नहीं है महाराज, आपकी बिरादरी का तो सबसे बड़ा अहम ही यह है कि वह सबसे पहले सबकुछ जान लेते हैं। जैसे पानी को उबलने के लिए 100 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है, वैसे ही गुरु से सूचनाएं निकालने के लिए उन्हें एक विशेष मन:स्थिति तक ले जाना होता था। लिहाजा उनकी अपेक्षा के अनुकूल जवाब दिया। गुरु हमारी बिरादरी में सब लोग एक जैसे नहीं है।

Read Also- Jharkhand Bureaucracy : नौकरशाही : ‘खिलाड़ी’ के साथ खेला

बहुत सारे लोग ज्ञान की श्रेष्ठता और अपनी लघुता के बीच का अंतर जानते हैं। इसलिए समय-समय पर आप जैसे महानुभाव के दर्शन-लाभ के लिए आते रहते हैं। गुरु समझ गए थे कि लघुता और जड़ता के जिक्र के पीछे खबर के जखीरे तक पहुंचने की मन:स्थिति है। गुरु मुस्कुराते हुए बोले- मैं सब समझता हूं। बताइए क्या जानने की इच्छा लेकर आए हैं।

Read Also- नौकरशाही : प्रोजेक्ट बनाम प्रोसेस

अनुमति मिल चुकी थी, सो अब सीधे काम की बात करनी थी। सवाल पूछ लिया- गुरु बदलाव की भविष्यवाणी तो आपकी सही साबित हुई। बदले गए हाकिमों का इंतजार कब खत्म होगा। गुरु बोले- परेशान मत होइए, नियति ने सब तय कर रखा है। नियंता अपने हिसाब से कुछ मोहरे बैठाना चाहता है। नियामक पेच फंसा रहा है। बात नियम की है। अगले कुछ दिनों में पूरी तस्वीर साफ हो जाएगी। फिलहाल फिल्मी गीत का मजा लीजिए : इन्तहा हो गई …।

Read Also- नौकरशाही: चौबे वाली चौपाल

Related Articles