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Jharkhand workers death in Saudi Arabia and Kuwait : सऊदी व कुवैत में झारखंड निवासी एक-एक मजदूर की मौत, परिजनों को 40 दिनों से शव का इंतजार

* Jharkhand migrant laborers death : हजारीबाग के धनंजय और रामेश्वर की मौत पर सरकार की चुप्पी से नाराज हैं परिजन...

by Anand Mishra
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Jamshedpur/Hazaribag (Jharkhand) : सऊदी अरब और कुवैत में काम कर रहे झारखंड के दो प्रवासी मजदूरों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो चुकी है, लेकिन 40 दिन बीत जाने के बाद भी उनके शव भारत नहीं लाए जा सके हैं। इस हृदयविदारक घटना ने न केवल परिजनों को तोड़ा है, बल्कि सरकारी तंत्र की निष्क्रियता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

24 मई को हुई थी विष्णुगढ़ निवासी धनंजय महतो की मौत

हजारीबाग जिले के विष्णुगढ़ प्रखंड के बनखारों गांव निवासी धनंजय महतो करीब एक साल से सऊदी अरब की एलएंडटी कंपनी में कार्यरत थे। वह मेगा सिटी निर्माण परियोजना में ट्रांसमिशन लाइन के लिए टावर लगाने का काम करते थे और 40,000 रुपए मासिक वेतन पर नियोजित थे।

…फिर कॉल अचानक कट गया

24 मई को धनंजय की अचानक गिरकर मौत हो गई। परिजनों के अनुसार, उस दिन उन्होंने वीडियो कॉल पर पत्नी से बातचीत की और फिर कॉल अचानक कट गया। उसके बाद सहकर्मी संदेश महतो ने जानकारी दी कि धनंजय महतो सीढ़ियों से गिर गए हैं। साथियों के अनुसार, धनंजय करीब चार घंटे तक ‘मां-बचाओ’ की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई मदद नहीं मिली और आखिरकार उन्होंने दम तोड़ दिया। अब तक उनके शव को वापस लाने में सरकार नाकाम रही है और 40 दिनों से उनके घर का चूल्हा नहीं जला है।

रामेश्वर महतो की कुवैत में मौत, 12 साल से कर रहे थे नौकरी

धनंजय महतो के घर से महज 500 मीटर दूर रहने वाले रामेश्वर महतो की 15 जून को कुवैत में मौत हो गई। वह IMCO कंपनी में 12 वर्षों से कार्यरत थे। बताया गया कि 6 जून को अचानक उनके हाथ और पैर काम करना बंद कर दिए। साथियों ने उन्हें रात 12 बजे अदान अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उनकी मौत हो गई। रामेश्वर के माता-पिता, पत्नी, दो बेटे और बहू अब भी उनके शव के इंतजार में दिन-रात आंसू बहा रहे हैं। उनका साथी रामकिशुन महतो ने बताया कि वे कुवैत के मबूला शहर में छठी मंजिल पर रहते थे, और खाना खाते वक्त ही उनकी तबीयत बिगड़ गई थी।

परिजन बोले-सरकारें सिर्फ भरोसा दिला रही हैं, शव अब तक नहीं आया

धनंजय और रामेश्वर दोनों के परिवारवालों का कहना है कि सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। केंद्र और राज्य सरकारों से बार-बार संपर्क के बावजूद शव अब तक नहीं पहुंचे हैं।

जिम्मेदारी से भाग रहा तंत्र, परिवार बेबस

मृतकों के परिजनों व सगे- संबंधियों का कहना है कि विदेशों में काम करने वाले मजदूरों की सुरक्षा और मौत के बाद की प्रक्रिया को लेकर प्रवासी भारतीय मामलों का मंत्रालय पूरी तरह विफल साबित हो रहा है।यह जरूरी है कि सरकार त्वरित कार्रवाई कर शवों को भारत लाने की व्यवस्था करे, ताकि परिजन अपने प्रियजनों की अंत्येष्टि कर सकें और उन्हें मानवीय सम्मान मिल सके।

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