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जस्टिस वर्मा नकदी मामला: जगदीप धनखड़ ने नड्डा और खड़गे के साथ बुलाई बैठक

न्यायाधीश के आवास से नकद राशि की खोज ने न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेही की आवश्यकता को बल दिया है। चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्लीः दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से नकद राशि मिलने के मामले ने संसद में हंगामा खड़ा कर दिया। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए, राज्यसभा के अध्यक्ष और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता सदन जगत प्रकाश नड्डा के साथ अपनी कक्ष में बैठक बुलाई।

न्यायिक जिम्मेदारी और भ्रष्टाचार पर चर्चा
यह बैठक आज सुबह 11.30 बजे हुई और इसमें न्यायिक जिम्मेदारी और उच्च न्यायपालिका में भ्रष्टाचार के आरोपों पर चर्चा होने की बात कही जा रही है। जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित आवास पर नकद राशि मिलने के बाद उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया गया, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस स्थानांतरण की सिफारिश कॉलेजियम ने नहीं की थी।

जयराम रमेश ने किया प्रस्ताव लाने का आग्रह
शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने धनखड़ से आग्रह किया कि वे सरकार से न्यायिक जिम्मेदारी बढ़ाने के लिए प्रस्ताव लाने को कहें। इसके जवाब में धनखड़ ने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) का अप्रत्यक्ष रूप से संदर्भ दिया, जो तत्कालीन कानून मंत्री अरुण जेटली द्वारा प्रस्तुत किया गया था और 2014 में संसद से पारित हुआ था।

धनखड़ ने दिलाई पूर्व में की गई पहल की याद
धनखड़ ने कहा, “अगर इस समस्या को सही समय पर हल कर लिया गया होता, तो शायद हमें इस तरह की समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता। आप सभी को याद होगा कि इस सदन द्वारा यह पहल किस प्रकार से लगभग सर्वसम्मति से पास की गई थी, केवल एक ने abstain किया था, सभी राजनीतिक दलों ने सरकार की पहल के साथ मिलकर काम किया था।”

NJAC को सुप्रीम कोर्ट ने घोषित किया था असंवैधानिक
राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC), जिसका उद्देश्य न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया को नियंत्रित करना था, को अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था, और उच्च न्यायपालिका के लिए कॉलेजियम प्रणाली को ही लागू रखा गया था।

धनखड़ ने जताई चिंता
धनखड़ ने यह भी चिंता व्यक्त की कि न्यायाधीश के आवास पर नकद राशि मिलने का मामला तुरंत सामने क्यों नहीं आया। “अगर यह किसी राजनेता के साथ हुआ होता, तो वह तुरंत निशाने पर होते। किसी नौकरशाह या उद्योगपति के साथ हुआ होता तो उसी समय जांच शुरू हो जाती। अगर मंत्री के खून में यह होता तो लोग उनकी खून के लिए हंगामा करते। क्या इन सब के लिए वही मानक लागू होते हैं? इस मामले में उच्च मानकों को लागू किया जाना चाहिए,” उन्होंने कहा। न्यायाधीश के आवास से नकद राशि की खोज ने न्यायिक नियुक्तियों की प्रक्रिया में अधिक जवाबदेही की आवश्यकता को लेकर आवाजें उठाई हैं।

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