फीचर डेस्क : नवरात्रि या नवरात्र का सातवां दिन विशेष रूप से मां कालरात्रि को समर्पित होता है। मां कालरात्रि शक्ति का ऐसा रूप हैं, जो नकारात्मक शक्तियों का विनाश करती हैं और अपने भक्तों को हर प्रकार के भय से मुक्ति देती हैं। इन्हें काली, महाकाली और कालिका के नामों से भी जाना जाता है। इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और सुख-शांति का आगमन होता है। आइए जानते हैं मां कालरात्रि की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती के बारे में पूरी जानकारी।
मां कालरात्रि का स्वरूप और महत्व
मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयावह है, लेकिन उनके भक्तों के प्रति वात्सल्य भाव और करुणा अनमोल है। इनका रंग गहरा काला है, जो हर प्रकार की नकारात्मकता और बुराई को नष्ट करने का प्रतीक है। इनके गले में मुंड-माला सुशोभित होती है, जो उन पर विजय प्राप्त करने वाले असुरों के प्रतीक हैं। इनके चार हाथ होते हैं – एक हाथ में खडग (विध्वंसक हथियार), दूसरे हाथ में लोहे की लौटी, तीसरे हाथ में वरद मुद्रा (आशीर्वाद की मुद्रा) और चौथे हाथ में अभय मुद्रा (भय से मुक्ति देने वाली मुद्रा) होती है। माता कालरात्रि की सवारी गर्दभ (गधा) है, जो उनकी भूमि पर दृढ़ता और संयम का प्रतीक है।
मां कालरात्रि पूजा विधि
स्नान और शुद्धता : नवरात्रि के सातवें दिन पूजा करने से पहले सूर्योदय से पहले स्नान आदि करें और शुद्धता का ध्यान रखें।
स्वच्छ वस्त्र पहनें : लाल रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनें, जो मां कालरात्रि को प्रिय होते हैं।
मंदिर में पूजा : मां कालरात्रि की प्रतिमा या तस्वीर को पूजा स्थल पर रखें।
अर्पण और आहुति : मां को रोली, कुमकुम, फूल, फल अर्पित करें और उनकी पूजा शुरू करें। इसके साथ ही, उन्हें लाल रंग की चुनरी अर्पित करें।
दीपक और भोग : मां के सामने घी का दीपक जलाकर पूजन मंत्र पढ़ें। इसके बाद गुड़ का भोग अर्पित करें।
प्रार्थना : अंत में मां कालरात्रि से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करें और किसी भी भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें।
मां कालरात्रि का प्रिय भोग
सातवें दिन की पूजा में मां कालरात्रि को गुड़ या शहद का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। माना जाता है कि गुड़ और शहद मां के प्रिय भोग होते हैं और इन्हें अर्पित करने से मां प्रसन्न होती हैं, जिससे भक्त की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
पूजा में लाल रंग का महत्व
मां कालरात्रि को लाल रंग बेहद प्रिय है। इसलिए पूजा के दौरान लाल रंग के वस्त्र पहनना और लाल फूल, फल और वस्त्र अर्पित करना विशेष रूप से लाभकारी माना जाता है। पूजा के बाद इन अर्पित वस्त्रों और भोग को किसी सुहागन महिला को दान देना चाहिए, जिससे शुभ फल की प्राप्ति होती है। मां कालरात्रि की पूजा न केवल शारीरिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाती है, बल्कि यह भूत-प्रेत और नकारात्मक शक्तियों से भी रक्षा करती है। इस दिन की पूजा से जीवन में शांति, समृद्धि और सच्चे सुख का वास होता है। इस नवरात्रि में मां कालरात्रि के आशीर्वाद से आप भी भय और संकट से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं।