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भाजपा प्रत्याशी रागिनी और सिंह मेंशन के खिलाफ रामधीर की बहू गरजीं

झरिया सीट में एक दिलचस्प मोड़ आया है। कभी चचेरे भाई थे आमने-सामने, अब जेठानी-देवरानी के बीच मुकाबला जोर का नजर आ रहा है।

by Neha Verma
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  • कहा- जो अपने परिवार और खून के रिश्ते का नहीं हुआ, वह जनता का क्या होगा
  • झरिया सीट में कभी चचेरे भाई थे आमने-सामने, अब जेठानी-देवरानी के बीच मुकाबला

धनबाद : जिसके लिए रामधीर सिंह ने स्वयं व अपने परिवार की खुशी का गला घोंट दिया, उसी ने उनके जेल में रहते उनकी पत्नी व बहू को घर से निकाल दिया। ऐसे लोग किसी के सगे नहीं होते। जो अपने परिवार और खून के रिश्ते का नहीं हुआ, वह झरिया वासियों का क्या होगा।
ये बातें सिंह मेंशन के संस्थापक तथा झरिया से चार बार विधायक रहे दिवगंत सूर्यदेव सिंह के 5 भाइयों में सबसे छोटे रामधीर सिंह की बहू आशनी सिंह ने कहीं।

आशनी सिंह कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा नीरज सिंह के पक्ष में चुनाव प्रचार कर रही हैं। इसी क्रम में आयोजित घनुडीह की नुक्कड़ सभा में आशनी सिंह ने सिंह मेंशनऔर भाजपा प्रत्याशी रागिनी सिंह के खिलाफ जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि विगत 15 वर्षो में झरिया के विकास के लिए क्या किया गया। कहा-उनकी मौजूदगी में झरिया कोयलांचल की पहचान आरएसपी कॉलेज को विपक्षियों की शह पर भाजपा सरकार द्वारा झरिया से छीना गया। इससे छात्रों को काफी परेशानी झेलनी पडी। अब झरिया की कोई परवाह नहीं की। आज वह झरिया के लोगों के हित की बात कर रहा है।


आशनी ने कहा कि जब 2019 में झरिया का नेतृत्व पूर्णिमा नीरज सिंह के रुप में मिला, तो विरोधियों की हवा गुम हो गई। पचा नहीं पा रहे हैं और अब तक हार से नहीं उबरे हैं, इसलिए झरिया की जनता को बरगला रहे हैं। पूर्णिमा नीरज सिंह के कार्यकाल का 2 वर्ष कोरोना में चला गया, बचे 3 सालों में जो काम हुआ, उसका मुकाबला नहीं है। इसके पहले बीते 15 सालों में झरिया में विकास नहीं हुआ था, लोग त्रासदी में जीने पर मजबूर थे। उन्होंने कहा कि पूर्णिमा नीरज ने झरिया में विकास की गाथा लिख रही है, जिससे विचलित विपक्ष अनाप-शनाप बोल रहा है। आशनी सिंह ने कांग्रेस प्रत्याशी पूर्णिमा नीरज सिंह के समर्थन में वोट की अपील की।

बता दें कि रामधीर सिंह के पुत्र शशि सिंह की पत्नी आशनी सिंह भी सियासत में सक्रिय हैं। आशनी ने 2017 के यूपी चुनाव में बलिया जिले की बैरिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था। हालांकि, वह हार गई थीं। सूर्यदेव सिंह का पैतृक गांव गोनिया छपरा बलिया जिला के बैरिया विधानसभा क्षेत्र में ही पड़ता है। हाल ही में सिंह मेंशन से पृथ्वी मेंशन भी अलग हुआ है। पृथ्वी मेंशन सूर्यदेव सिंह के छोटे भाई रामधीर सिंह का आवास है।

उल्लेखनीय है कि सूर्यदेव सिंह का कहना था कि उनके सभी भाइयों में बहुत एकता है। उनके लिए बिक्रमा सिंह, रामधीर सिंह, बच्चा सिंह, राजन सिंह सभी भाई ही नहीं, भाई से बढ़कर हैं। आज सूर्यदेव सिंह की बहू रागिनी सिंह और सूर्यदेव सिंह के भाई राजन सिंह की बहू पूर्णिमा सिंह झरिया विधानसभा चुनाव में आमने-सामने हैं।

बिखर गया परिवार, शुरू हो गई वर्चस्व की लड़ाई

सूर्यदेव सिंह का धनबाद में बना आवास सिंह मेंशन आज भी है, लेकिन,आज 46 साल बाद फर्क सिर्फ इतना ही है कि सिंह मेंशन में रहने वाले पांच भाइयों का कुनबा बिखर गया है। जून 15 सन 1991 में हार्ट अटैक से हुई उनकी मौत के बाद परिवार के बीच ही विवाद हो गया और सभी भाइयों के बीच वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई।


सूर्यदेव सिंह पांच भाई थे। विक्रमा सिंह अपने पैतृक गांव बलिया में ही रह गए, जबकि राजन सिंह (अब दिवंगत) बच्चा सिंह (अब दिवंगत) एक साथ थे। वहीं रामधीर सिंह (आजीवन कारावास) सूर्यदेव सिंह (अब दिवंगत) के साथ रहे, लेकिन, अब रामधीर सिंह का परिवार राजन सिंह के साथ खड़ा हो गया है। रामधीर सिंह झरिया के पूर्व विधायक सूर्यदेव सिंह के पांच भाइयों में सबसे छोटे है। रामधीर सिंह को ‘सिंह मेंशन’ के रणनीतिकार के रूप में देखा जाता रहा है। कहते हैं, वे सूर्यदेव सिंह द्वारा स्थापित जनता मजदूर संघ के वह अध्यक्ष भी रह चुके हैं। लेकिन सजायाफ्ता होने के बाद उन्हें इस पद से हटा दिया गया।

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