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Saranda incident : सारंडा में बिजली विभाग की लापरवाही से 12 भेड़ों की मौत, ग्रामीणों में फूटा गुस्सा

by Anand Mishra
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Chaibasa (Jharkhand) : पश्चिमी सिंहभूम (चाईबासा) के सारंडा क्षेत्र के लेम्ब्रे गांव में रविवार को एक दुखद घटना सामने आई, जिसमें बिजली के पोल से फैले जानलेवा करंट की चपेट में आने से 12 নিরীহ भेड़ों की मौत हो गई। ग्रामीणों का आरोप है कि यह हृदयविदारक हादसा बिजली विभाग की घोर लापरवाही का नतीजा है, जिसके कारण पूरे गांव में गहरा आक्रोश व्याप्त है।

इंसुलेटर टूटने से जमीन में फैला करंट

गंगदा पंचायत के अंतर्गत आने वाले लेम्ब्रे गांव में गुरुवार की देर रात जैसे ही बिजली की आपूर्ति शुरू हुई, खंभे पर लगा एक पुराना और जर्जर इंसुलेटर टूट गया। इस वजह से बिजली का करंट जमीन में फैल गया। उस समय तेज आंधी और बारिश के कारण जमीन पूरी तरह से भीगी हुई थी, जिसने करंट को और अधिक घातक बना दिया। पास ही बैठी दर्जनों भेड़ें इसकी चपेट में आ गईं और देखते ही देखते 12 बेजुबान जानवर मौके पर ही झुलसकर मर गए।

गरीब पशुपालकों पर टूटा दुखों का पहाड़, मुआवजे की मांग

यह घटना लेम्ब्रे गांव के गरीब पशुपालकों के लिए एक बड़ी आर्थिक क्षति लेकर आई है। ग्रामीणों के अनुसार, मरी हुई प्रत्येक भेड़ की औसत कीमत 5 से 7 हजार रुपये थी। गांव के ही निवासी देवेन्द्र चाम्पिया ने रविवार को बताया कि इस दर्दनाक हादसे के तुरंत बाद ग्रामीणों ने बिजली विभाग के कर्मचारियों, स्थानीय लाइनमैन और मनोहरपुर के प्रखंड विकास पदाधिकारी (बीडीओ) को बार-बार फोन करके बिजली की आपूर्ति बंद करने की गुहार लगाई, लेकिन दुर्भाग्यवश किसी ने भी उनका फोन नहीं उठाया। यहां तक कि कई जिम्मेदार अधिकारियों के मोबाइल फोन तक ‘स्विच ऑफ’ थे, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया।

जर्जर तारों की शिकायत पर नहीं हुई कार्रवाई

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने पहले भी कई बार गांव में मौजूद जर्जर बिजली के खंभों और लटकते तारों की शिकायत बिजली विभाग से की थी, लेकिन विभाग ने उनकी शिकायतों को अनसुना कर दिया। अब इस दुखद घटना के बाद ग्रामीणों का धैर्य टूट गया है। वे मांग कर रहे हैं कि मृत मवेशियों के मालिकों को तत्काल उचित मुआवजा दिया जाए और इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।

आंदोलन की चेतावनी

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। उनकी प्रमुख मांग है कि मवेशियों की मौत का मुआवजा बिना किसी देरी के दिया जाए और गांव में मौजूद सभी जर्जर तारों और बिजली के उपकरणों की तत्काल जांच की जाए, साथ ही इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों और अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए।

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