- इलाके में हाल के वर्षों में हुए नक्सली घटनाओं का गया विवरण, जंगल में बसे गांवों की जानकारी भी की गई साझा
- प्रस्तावित क्षेत्र में करीब सात आयरन-ओर माइंस के प्रभावित होने का संकट, सेल की दो माइंसों में हो रहा खनन
Saranda Mining Impact : चाईबासा : सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सारंडा वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी के मुद्दे पर झारखंड सरकार ने अपना हलफनामा दायर कर दिया है। सरकार की तरफ से न्यायालय में संबंधित विभागों के सचिव और निदेशक मौजूद रहे। सरकार की ओर से दायर हलफनामे में 314 वर्ग किलोमीटर की जगह सैंक्चुरी घोषित करने पर सहमति दी गई है। सरकार ने अपनी तरफ से कोर्ट से अपील की है कि इस दायरे को करीब 64 वर्ग किलोमीटर छोटा कर दिया जाए, तो वन क्षेत्र में रहने वाले आदिवासियों-मूलवासियों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव को सीमित किया जा सकेगा। इसके अलावा राजस्व को होने वाले नुकसान को भी सीमित किया जा सकेगा। अनुरोध किया गया है कि न्यायालय करीब 250 वर्ग किलोमीटर के इलाके को ही सैंक्चुरी के दायरे जाने पर विचार करे। सरकार ने अपनी अपील में बताया है कि वर्तमान इलाके में आयरन-ओर की करीब 7 माइंस हैं।

इसमें से स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अंतर्गत दो माइंस का संचालन हो रहा है, जिसमें किरीबुरु और मेघाहातुबुरु शामिल है। करीब 5 माइंस बंद हैं। वहीं इस इलाके में हाल के वर्षों में हुए नक्सली वारदातों का विवरण भी दिया गया है। बताया है कि इस इलाके में सुरक्षा बलों को नक्सली गतिविधियां संचालित होने के सबूत मिले हैं।
इसके इलावा अभयारण्य घोषित होने से प्रभावित होने वाले करीब 40 गांवों की सूची भी संलग्न की गई है। सरकार ने अपनी रिपोर्ट में पूरे क्षेत्र का विस्तृत मैप संलग्न किया है। इससे पहले झारखंड सरकार ने कैबिनेट मीटिंग में कोल्हान प्रमंडल स्थित सारंडा जंगल के 314 वर्ग किलोमीटर के इलाके अभयारण्य घोषित करने के प्रस्ताव पर सहमति प्रदान कर दी गई थी। संबंधित प्रस्ताव वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से पेश किया गया।
ज्ञात हो कि स्थानीय आदिवासी और मूलवासी भी सारंडा को वाइल्डलाइफ सैंक्चुरी घोषित करने का विरोध कर रहे हैं। हाल ही में कुछ दिनों पहले इस संबंध मे स्थानीय लोगों की ओर से बड़ी रैली निकाल कर अपना विरोध जताया गया था। राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्थानीय लोगों को भरोसा दिया था कि वह वन क्षेत्र में रहने वाले लोगों के जीवन को प्रभावित नहीं होने देंगे। राज्य सरकार इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में हरसंभव पहल करेगी। इसके आलोक में संबंधित रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट के समक्ष पेश की गई है।
Saranda Naxal Activities : कुछ ऐसा है पूरा मामले
सुप्रीम कोर्ट ने गत 8 अक्टूबर को राज्य सरकार को एक सप्ताह में सारंडा को अभयारण्य घोषित करने का निर्णय लेने का निर्देश दिया था. राज्य सरकार की ओर से अदालत के निर्देश के अनुपालन कर एफिडेविट दाखिल किया गया। सारंडा जंगल का कुल क्षेत्रफल 850 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 314 वर्ग किलोमीटर, यानी 36 प्रतिशत इलाका, अभयारण्य के रूप में अधिसूचित करने पर सरकार की सैद्धांतिक सहमति है। ज्ञात हो कि जिन इलाकों को अभयारण्य के रूप में चिह्नित किया जाएगा, वहां किसी तरह का खनन कार्य नहीं हो सकेगा। अभयारण्य के बाहर के वन क्षेत्रों में वैध रूप से आवंटित पट्टाधारक खनिजों का उत्खनन कर सकेंगे।