Ranchi (Jharkhand) : सरना धर्म कोड को आदिवासियों का मौलिक हक बताते हुए झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सोमवार को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। रांची में यह प्रदर्शन राजभवन के सामने किया गया, जहाँ राज्य के विभिन्न जिलों से आए कांग्रेस कार्यकर्ता अपनी पारंपरिक वेशभूषा में कांग्रेस भवन से जुलूस की शक्ल में राजभवन पहुंचे। इस दौरान भारी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोग भी उपस्थित थे, जो अपनी पहचान और हक के लिए एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे थे।
सड़क से संसद तक लड़ाई
धरना में मुख्य अतिथि के तौर पर पार्टी के प्रदेश प्रभारी के. राजू, सह प्रभारी डॉ. सिरिवेल्ला प्रसाद, और प्रणव झा उपस्थित थे। अपने संबोधन में झारखंड प्रभारी के. राजू ने स्पष्ट किया कि सरना धर्म कोड आदिवासियों का मौलिक अधिकार है, और इसे सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी की है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस लगातार इसकी मांग कर रही है, और अब सड़क पर उतर कर आंदोलन किया जा रहा है। राजू ने ऐलान किया कि पार्टी जल्द ही दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी धरना देगी और राष्ट्रपति से मिलकर सरना धर्म कोड को लागू करने का आग्रह करेगी।
के. राजू ने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा, “जिस प्रकार तीन काले कृषि कानूनों को निरस्त कराया गया, ठीक उसी प्रकार सरना धर्म कोड भी हम सातवें कॉलम में डलवा कर रहेंगे। हम आदिवासियों की पहचान खोने नहीं देंगे।”
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष केशव महतो कमलेश ने केंद्र सरकार पर आदिवासियों के हक और अधिकार का हनन करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र षड़यंत्र के तहत आदिवासियों के धार्मिक अस्तित्व को मिटाने का प्रयास कर रही है और उन्हें धार्मिक आधार पर पहचान नहीं देना चाहती है।
एआईसीसी सचिव प्रणव झा ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि आदिवासी ही हिंदुस्तान के मूलवासी हैं, और ये प्रकृति के पूजक हैं। भाजपा हमेशा इन्हें ‘वनवासी’ कहती है और शुरू से ही इनके साथ भेदभाव करती है। मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि अब याचना नहीं, रण का वक्त आ गया है, और कांग्रेस इसके लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “हम सरना धर्म कोड लेकर रहेंगे।”
‘सरना धर्म कोड हमारी पहचान’
मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि सरना धर्म कोड हमारी पहचान है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की सरकार हमारे पाहन, पुजार, और धर्म स्थल को महत्व नहीं देना चाहती है, और आदिवासियों के प्रति घृणा का भाव रखती है।
मंत्री इरफान अंसारी ने सरना धर्म कोड को संवैधानिक अधिकार बताते हुए कहा कि जब तक केंद्र सरकार इसे लागू नहीं करती, आंदोलन जारी रहेगा। सांसद सुखदेव भगत ने इस बात पर हैरानी जताई कि भारत सरकार पशुओं की गणना करती है, लेकिन धार्मिक आधार पर आदिवासियों की गणना कर उन्हें पहचान नहीं देना चाहती।
धरना कार्यक्रम का संचालन पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष शहजादा अनवर ने किया। इस दौरान सांसद कालीचरण मुंडा, विधायक राजेश कच्छप, कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की, विधायक डॉ. रामेश्वर उरांव, विक्सल कोन्गाड़ी, भूषण बाड़ा, ममता देवी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, डॉ. प्रदीप बलमुचू, फुरकान अंसारी, सुबोधकांत सहाय, बादल पत्रलेख, के.एन. त्रिपाठी, केदार पासवान, गुंजन सिंह सहित अन्य कई नेताओं ने संबोधित किया।
कार्यक्रम में पूर्वी सिंहभूम जिलाध्यक्ष आनंद बिहारी दूबे, संतोष सिंह, धर्मेंद्र सोनकर, प्रमोद दूबे, भागीरथ पासवान, रवि मिश्रा, चंद्रशेखर दास, बरकातुल्ला खान, श्रीकुमार सरकार, विजय दूबे, उदय प्रकाश, शैलेंद्र यादव, मुन्ना पासवान, पंकज तिवारी सहित अनेक कार्यकर्ता और पदाधिकारी उपस्थित थे। यह धरना आदिवासियों के धार्मिक पहचान और अधिकारों के लिए कांग्रेस के संघर्ष को रेखांकित करता है।

