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Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah dispute: कोर्ट का बड़ा फैसला, संपत्ति को विवादित घोषित करने से इनकार, हिंदू पक्ष को झटका

Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah dispute: श्रीकृष्ण जन्मभूमि-ईदगाह विवाद में कोर्ट ने विवादित संपत्ति की याचिका खारिज की, हिंदू पक्ष की मांग को नहीं माना।

by Anurag Ranjan
Court rejects plea to declare Shri Krishna Janmabhoomi-Idgah property as disputed, setback for Hindu side
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मथुरा : श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें शाही ईदगाह से जुड़ी संपत्ति को विवादित घोषित करने की मांग की गई थी। इस फैसले से हिंदू पक्षकारों को बड़ा झटका लगा है।

ढांचे को बाबरी मस्जिद की तरह विवादित घोषित करने की थी मांग

न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा दाखिल अर्जी को अस्वीकार कर दिया। अर्जी में दावा किया गया था कि मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद उसी स्थान पर बनी है जहां श्रीकृष्ण का मूल गर्भगृह था, और यह मस्जिद तोड़कर बनाई गई है। याचिका में मांग की गई थी कि इस ढांचे को बाबरी मस्जिद की तरह विवादित घोषित किया जाए।

इससे पहले कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने के लिए 4 जुलाई की तारीख तय की थी। शुक्रवार को अदालत ने स्पष्ट किया कि शाही ईदगाह से संबंधित संपत्ति को वर्तमान में विवादित घोषित करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। अतः वादी की मांग को स्वीकार नहीं किया जा सकता।

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में दर्ज कराई थी लिखित आपत्ति

हिंदू पक्ष की ओर से यह भी कहा गया था कि ऐतिहासिक तथ्यों और धार्मिक आस्था के आधार पर यह भूमि भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली है, जिसे किसी भी प्रकार के अन्य ढांचे से मुक्त कराया जाना चाहिए। वहीं मुस्लिम पक्ष ने इस दावे का विरोध करते हुए कोर्ट में लिखित आपत्ति दर्ज कराई थी।

कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी

कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि विवाद की संवेदनशीलता को देखते हुए कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी है और केवल आस्था या ऐतिहासिक दावों के आधार पर संपत्ति को विवादित नहीं ठहराया जा सकता। कोर्ट के इस फैसले को लेकर हिंदू पक्ष में निराशा है, जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे न्यायसंगत बताया है।

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