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Sunil Gavaskar : सुनील गावस्कर का गुस्सा : ऑस्ट्रेलिया में अपमान पर बोले- मैं भारतीय हूं इसलिए किया गया नजरअंदाज

by Rakesh Pandey
Sunil Gavaskar
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नई दिल्ली : ऑस्ट्रेलिया और भारत के बीच हाल ही में समाप्त हुई 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में कंगारू टीम ने 3-1 से शानदार जीत हासिल की और अपनी मेज़बानी में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा जमाया। लेकिन इस हार को लेकर चर्चा होती रही तो दूसरी ओर भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर का ध्यान कुछ और ही घटना पर केंद्रित रहा, जिसने उन्हें बेहद नाराज कर दिया।

सिडनी टेस्ट में हुई घटना

सीरीज के आखिरी टेस्ट मैच का आयोजन सिडनी में हुआ, जिसमें ऑस्ट्रेलिया ने 6 विकेट से जीत दर्ज की और इसके साथ ही सीरीज भी अपने नाम कर ली। मैच खत्म होने के बाद विजेता टीम को ट्रॉफी सौंपने के लिए प्रेजेंटेशन सेरेमनी आयोजित की गई। यही वह मौका था, जब सुनील गावस्कर को एक अपमानजनक घटना का सामना करना पड़ा।

गावस्कर और बॉर्डर के नाम पर है ट्रॉफी

आमतौर पर जब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी की बात होती है, तो यह दोनों देशों भारत और ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज क्रिकेटरों सुनील गावस्कर और एलन बॉर्डर के नाम पर होती है। ट्रॉफी की प्रेजेंटेशन सेरेमनी में, ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान पैट कमिंस को ट्रॉफी सौंपते हुए एलन बॉर्डर को बुलाया गया, जबकि सुनील गावस्कर, जो कि मैदान पर ही मौजूद थे, को पूरी तरह से नजरअंदाज कर दिया गया। यह घटना गावस्कर के लिए बेहद निराशाजनक रही।

गावस्कर का गुस्सा और नाराजगी

इस अपमानजनक घटना के बाद सुनील गावस्कर ने अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया को दी जा रही थी। उनके अनुसार, यह उनके लिए खुशी की बात होती अगर उन्हें भी प्रेजेंटेशन सेरेमनी में बुलाया जाता, क्योंकि यह ट्रॉफी भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों देशों से जुड़ी हुई है।

बोले गावस्कर, नजरअंदाज किया जाना दुखद

गावस्कर ने कहा, “मुझे प्रेजेंटेशन सेरेमनी में जाकर खुशी होती। आखिरकार यह बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी है और दोनों देशों, ऑस्ट्रेलिया और भारत, से जुड़ी हुई है।” उनका कहना था कि उनका ऑस्ट्रेलिया से कोई बैर नहीं है और वे समझते हैं कि ऑस्ट्रेलिया ने बेहतरीन क्रिकेट खेला और जीत हासिल की, लेकिन फिर भी उन्हें इस तरह से नजरअंदाज किया जाना दुखद था।

भारतीय होने के कारण नहीं बुलाया गया प्रेजेंटेशन सेरेमनी में

उन्होंने आगे कहा, “मैं मैदान पर था, और मुझे इससे फर्क नहीं पड़ता कि ट्रॉफी ऑस्ट्रेलिया को दी जा रही थी। उन्होंने बेहतर क्रिकेट खेला और जीते। यह ठीक है। लेकिन केवल इसलिए कि मैं एक भारतीय हूं, मुझे प्रेजेंटेशन सेरेमनी में नहीं बुलाया गया।”

बॉर्डर के साथ मिलना चाहिए था ट्रॉफी देने का मौका

गावस्कर ने जो बयान दिया, वह उनकी निराशा और आक्रोश को साफ तौर पर दर्शाता है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर उन्हें अपने अच्छे दोस्त एलन बॉर्डर के साथ ट्रॉफी देने का मौका मिलता तो उन्हें खुशी होती, लेकिन ऐसा नहीं होने से उन्हें बहुत दुख हुआ। यह घटनाक्रम न केवल एक व्यक्तिगत अपमान था, बल्कि एक प्रतीक था कि भारतीय खिलाड़ियों को कभी-कभी उनके योगदान के बावजूद उचित सम्मान नहीं मिल पाता।

गावस्कर की अहमियत और योगदान

सुनील गावस्कर को भारतीय क्रिकेट में एक महान नाम माना जाता है। उनके योगदान को भारतीय क्रिकेट प्रेमी हमेशा याद करेंगे। उन्होंने न केवल क्रिकेट की दुनिया में अपनी मौजूदगी से देश का नाम रोशन किया, बल्कि विदेशी सरजमीं पर भारतीय क्रिकेट के मान-सम्मान को भी बढ़ाया। ऐसे में यह घटना भारतीय क्रिकेट की महानता को नजरअंदाज करने की ओर इशारा करती है।

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