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शहरनामा : जंगल में कौन मना रहा मंगल

by Birendra Ojha
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जंगल में मंगल को दूसरे अर्थों में लिया जाता है। बात कुछ हद तक सही है, लेकिन इसके लिए कुछ किया नहीं जा सकता। जब नामचीन लोग जंगल में सैरगाह बनाने लगें, तो क्या कहा जाए। हाल के वर्षों में इस बात की होड़ सी लगी है कि कौन शहर से कितनी दूर जंगल में मंगल मनाने लायक सैरगाह बना सकता है। ऐसा ही एक सैरगाह चर्चित हस्ती ने भी बनाया है कि वहां जो भी एक बार जाता है, उसका दिल बाग-बाग हो जाता है। वहां की आंतरिक साज-सज्जा भी इतनी बेहतरीन है कि देखने वाला दांतों तले अंगुली दबा लेता है। लौट कर बखान करते नहीं थकता, अरे क्या कहें… ऐसी साज-सज्जा तो शहर के गिने-चुने घरों में होगी। अब यह मत पूछिए कि इतना पैसा जंगल में क्यों लगाया जा रहा है, आप तो खुद समझदार हैं। आप भी देख आएं।

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आसमान में बन रहा रास्ता

धरती की कौन कहे, अब लौहनगरी के लोग आसमान में रास्ता बनते देख रहे हैं। वह भी एक नहीं, दो-दो। एक ही इलाके में लोग महीनों से इस आसमानी रास्तों को बनते हुए देख रहे हैं। लेकिन, जैसे-जैसे इसका काम आगे बढ़ रहा है, धरती पर रहकर गुजर-बसर करने वाले छाती पीट रहे हैं। हाल ही की बात है, जब लोगों को लगा कि जितनी दूर तक यह रास्ता बन रहा है, वहां तक दूसरी तरफ कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है, तो उनके सब्र का बांध टूट गया। जब मार पेट पर पड़ने लगी, धंधा चौपट होने लगा, तो चीख-पुकार मच गई। हालांकि, इसकी भनक वोट वाले नेताजी को भी थी, लेकिन उन्होंने कान में रुई और जुबान पर टेप चिपका लिया। ऐसे में एक बार फिर वही उनके काम आया, जिसके नाम में पूर्व शब्द जुड़ गया है। मिनटों में रास्ता बन गया।

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दाग छिपाने में जुटे धुरंधर


लंबे समय बाद इस लौहनगरी की जनता और खाकी ने भी देखा कि कैसे दुर्दांत को मारा जाता है। इस खबर से आम लोगों ने राहत की सांस ली, लेकिन उन लोगों की चिंता बढ़ गई, जो इस धरती के बोझ से अपना रिश्ता बनाकर गर्व कर रहे थे। चाचा ने इशारे में कह भी दिया है, इसलिए उन लोगों की नींद उड़ी हुई है, कि पता नहीं क्या होगा। जब खबर फैली कि उस कुख्यात को शरण देने वाले या अपनी छत्रछाया में रखने वालों की भी तलाश की जा रही है, तो गर्व करने वालों की नींद उड़ गई है। बताते हैं कि इनमें सफेदपोश भी हैं, जो अब अपने कपड़े से दाग छिपाने के लिए सेटिंग-गेटिंग में जुटे हैं। कहते हैं कि कुछ रांची और पटना, तो कुछ लखनऊ से दिल्ली तक सूत्र तलाश रहे हैं। देखते हैं क्या होता है।

पूरे कुनबे को ही उड़ा दिया


हाल ही में एक घटना हुई थी, जिसमें रक्षक के भक्षक बनने का मामला हाईलाइट हुआ था। मामला जवान का था, जिसे पूरे कुनबे ने गली के गुंडे की तरह कूट दिया था। बात जब हाईकमान तक पहुंची, तो सबकी कुर्सी हिलने लगी। नतीजा हुआ कि पूरे कुनबे को ही एक झटके में उड़ा दिया गया। बात यहीं समाप्त नहीं हुई, अब लोगों में इस बात की चर्चा है कि इसमें तो चालक ही सबसे पावरफुल निकला। जिसकी वजह से बात का बतंगड़ बना, उसे पूरे सीन से गायब कर दिया गया। ऐसे चालाक हर इलाके में पाए जाते हैं, जो खुद को बड़ा साहब समझते हैं। चूंकि स्टेयरिंग उसी के हाथ में होती है, इसलिए साहब को जहां चाहता है, घुमा देता है। साहब भी उसकी हर बात सिर माथे पर रखते हैं, क्योंकि वही तो साहब के लिए नाश्ते-भोजन भी जुटाता है।

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