नई दिल्ली : Ram Manohar Lohia Hospital: राजधानी दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का बड़ा कांड सामने आया है। गोपनीय सूचना के आधार पर सीबीआई ने छापा मार कर अस्पताल के दो बड़े डॉक्टरों समेत कुल 9 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। ये दोनों डॉक्टर अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर कार्यरत थे, जबकि बाकी लोगों में कैथ लैब स्टाफ से लेकर नर्स और क्लरिकल स्टाफ शामिल हैं।
सीबीआई की ओर से दर्ज की गई एफआईआर के अनुसार, ये सभी लोग अस्पताल में मेडिकल उपकरणों की सप्लाई फिक्स करने के लिए कॉमर्शियल कंपनी के प्रतिनिधियों से रिश्वत ले रहे थे। इनमें कार्डियोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर पर्वतगौड़ा को 7 मई को सीबीआई ने रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा था। इसके अलावा इसी विभाग के प्रोफेसर अजय राज पर आरोप है कि वे रिश्वत लेकर कंपनियों के मेडिकल डिवाइसेज को अस्पताल में लगवाते थे।
एफआईआर के मुताबिक, सीबीआई को जानकारी मिली थी कि डॉ. पर्वतगौड़ा ने मेडिकल उपकरणों को अस्पताल में लगाने के लिए 2 मई को नागपाल टेक्नोलॉजीज के नरेश नागपाल से रिश्वत मांगी थी। ऐसे में नरेश नागपाल 7 मई को करीब 2 लाख 48 हजार रुपये देने वाला है।
रंगेहाथ पकड़ा गया डॉक्टर
आरएमएल अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. पर्वतगौड़ा को करीब ढाई लाख रुपये की रिश्वत के साथ रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया। गौड़ा ने यूपीआई के जरिए पैसा लिया था। इनके अलावा रजनीश कुमार, जो आरएमएल अस्पताल की कैथ लैब में सीनियर टेक्निकल इंचार्ज है, उसे भी गिरफ्तार किया गया। कार्डियोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ. अजय राज, नर्स शालू शर्मा, क्लर्क भुवल जैसवाल व संजय कुमार गुप्ता और पांच अन्य लोग जिसमें चार अलग-अलग इक्विपमेंट सप्लाई करने वाली कंपनी में काम करते हैं, को सीबीआई ने प्रिवेंशन ऑफ करप्शन और आपराधिक साजिश के तहत गिरफ्तार किया है।
Ram Manohar Lohia Hospital : इलाज के नाम पर भी करते थे वसूली
सीबीआई को जानकारी मिली थी कि राम मनोहर लोहिया अस्पताल के कई डॉक्टर और कर्मचारी करप्शन में शामिल हैं। ये अलग-अलग मॉड्यूल के जरिए करप्शन करते थे। मेडिकल इक्विपमेंट्स की सप्लाई और डॉक्टरों के माध्यम से उनके प्रोडक्ट को प्रमोट कराने के बदले प्राइवेट कंपनियों से मोटी रकम लेते थे। यही नहीं, गरीब मरीजों से इलाज के नाम पर भी क्लर्क के जरिए पैसे वसूलते थे। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक डॉ. पर्वतगौड़ा और अजय राज मेडिकल कंपनियों के प्रतिनिधि नरेश नागपाल, अबरार अहमद, आकर्षण गुलाटी, मोनिका सिन्हा, भरत सिंह दलाल से उनके इक्विपमेंट्स प्रमोट और सप्लाई करने के नाम पर रिश्वत लेते थे। आरएमएल के क्लर्क भुवल जैसवाल और नर्स शालू शर्मा मरीजों के तीमारदारों से इलाज के नाम पर पैसा ऐंठते थे।
पर्वतगौड़ा के रिश्वत कांड का खुलासा
पुलिस की एफआईआर में कहा गया है कि मेडिकल कंपनी का प्रतिनिधि नरेश नागपाल उपकरणों की आपूर्ति करता है। ऐसे उपकरणों का उपयोग करने के लिए डॉ. पर्वतगौड़ा नागपाल से नियमित रूप से रिश्वत लेते हैं। 2 मई को पर्वतगौड़ा ने नागपाल से रिश्वत की मांग की। नागपाल ने उन्हें आश्वासन दिया कि मांगी गई रकम 7 मई को आरएमएल अस्पताल में पहुंचा दी जाएगी।
इससे पहले 26 मार्च को पर्वतगौड़ा ने अबरार अहमद से उसके द्वारा आपूर्ति किए गए उपकरणों को लेकर रिश्वत मांगी। अबरार ने रिश्वत की रकम पर्वतगौड़ा द्वारा दिए गए बैंक खाते में ट्रांसफर कर दी। बाद में पता चला कि 1 लाख 95 हजार रुपये उसने डॉक्टर के पिता के अकाउंट में अपने एक्सिस बैंक से ट्रांसफर किए।
इसके बाद 22 अप्रैल को डॉ. पर्वतगौड़ा ने मेडिकल कंपनी के प्रतिनिधि आकर्षण गुलाटी से रिश्वत मांगी। इस पर आकर्षण ने कहा कि वो बाहर है और 24 अप्रैल तक मोनिका सिन्हा के माध्यम से पैसे पहुंचा देगा। इसके बाद 24 अप्रैल को मोनिका ने उनको 36 हजार रुपये यूपीआई के जरिए दिए। गिरफ्तार आरोपियों को सीबीआई कोर्ट में पेश करके इनकी कस्टडी मांग सकती है।