Maharashtra Assembly Election: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद महायुति के नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस कर जनता का आभार व्यक्त किया। महायुति की महाविजय पर सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि महायुति को भारी जीत दिलाने के लिए लोगों ने चुनाव अपने हाथ में लिया। दूसरी ओर अजित पवार ने कहा कि महाराष्ट्र की नई सरकार राज्य में वित्तीय अनुशासन लाएगी।
कैसे शुरू हुई महिलाओं के लिए योजनाएं
महाराष्ट्र में महायुति को चुनाव जीताने में महिलाओं का विशेष योगदान माना जा रहा है। महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए लाई गई कल्याणकारी योजनाओं ने काफी हद तक निर्णायक रोल अदा किया है। पहली बार ऐसा मध्य प्रदेश में देखने को मिला था, जब शिवराज सिंह चौहान ने महिलाओं और लड़कियों को केंद्र में रखकर योजनाओं की घोषणा की थी,
इन योजनाओं ने एमपी में राजनीतिक परिदृश्य बदल दिया था।
लाडकी बहिन योजना
सीधे महिलाओं के खाते में कैश ट्रांसफर से कई फायदे हुए। इसके बाद कई राज्यों ने भी ऐसा ही किया और जमकर वोट बटोरा। महाराष्ट्र में भी लाडकी बहिन योजना की शुरूआत हुई और सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने महिलाओं की शिक्षा और कौशल विकास के लिए महिलाओं को प्रतिमाह 1500 रुपए देना शुरू किया था। शिंदे सरकार ने चुनाव से ठीक पहले इस राशि को बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया था।
इससे महिला मतदाता काफी प्रभावित हुई और मतदान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। जिन सीटों पर महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच कांटे की टक्कर थी, वहां भी महायुति ने महिलाओं के दम पर जीत हासिल की।
मइयां सम्मान योजना
झारखंड में भी मइयां सम्मान योजना का सीधा फायदा आरखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार को मिला। महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह और स्कूल जाने वाली छात्राओं को मुफ्त साइकिल, एकल माताओं को भी नगद राशि, बेरोजगार महिलाओं को नगद सहायता जैसे लुभावनी योजनाओं का फायदा दिया।
महिला केंद्रित योजनाओं से क्या फायदा
महिलाओं को केंद्र में रखकर बनाई गई ये योजनाएं अब राजनीतिक पार्टियों का टूल बन गई है। इसे चुनावी रणनीतियों को नया रूप मिल रहा है। एक तो ऐसी योजनाओं से महिलाओं को सीधे तौर पर फायदा मिल रहा है। दूसरी ओर, यदि एक महिला को इसका लाभ मिलता है और वो इसकी चर्चा अन्य समूहों में करती हैं, तो दूसरी महिला भी इससे प्रभावित होती है।
तीसरी बात, यह योजनाओं सामाजिक असमानताओं जैसे विधवा, सिंगल मदर व आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को भी लक्षित करती है। क्यों कि इससे नगद बिना किसी लंबी-चौड़ी सरकारी दखल के उनके खाते में पहुंच जाती है। जो पार्टियां महिलाओं को फायदा देती है, उनके लिए ये महिलाएं स्थायी मतदाता बन जाती है।