- इलाज के लिए आने वाले मरीजों की बढ़ गई परेशानी
- केवल शनिवार को 2 बजे के बाद डॉक्टरों को विजिट करने का जारी किया गया था नोटिस
रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रिम्स में प्रबंधन व्यवस्था दुरुस्त करने के दावे कर रहा है। लेकिन सच्चाई हकीकत से कोसों दूर है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है बैन के बावजूद मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव (एमआर) खुले आम रिम्स में घूम रहे हैं। इतना ही नहीं ओपीडी से लेकर इनडोर तक बिना किसी रोक टोक के डॉक्टरों से मिल रहे हैं। वहीं मरीजों के बीच बेधड़क ओपीडी में डॉक्टरों के चैंबर में घुस जा रहे हैं। इसके बावजूद न तो उन्हें सिक्योरिटी में तैनात होमगार्ड्स रोक रहे हैं और न ही डॉक्टर उन्हें मना कर रहे। जिससे साफ है कि इनकी सह पर ही एमआर बेधड़क रिम्स में घूम रहे हैं।

डॉक्टरों के केबिन तक पहुंच
रिम्स हॉस्पिटल में ओपीडी और वार्ड में भर्ती मरीजों के लिए अधिकांश दवाएं सरकारी खर्च पर उपलब्ध कराई जाती हैं। लेकिन दवा कंपनियों के एमआर की एक्टिविटी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। एमआर सुबह से शाम तक रिम्स में सक्रिय रहते हैं और न केवल ओपीडी के डॉक्टर के केबिन में, बल्कि वार्ड में भर्ती मरीजों के बेड तक दवाओं का प्रचार कर रहे हैं।रिम्स प्रबंधन ने एमआर के प्रवेश पर रोक लगाई है, लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिल रहा है। होमगार्ड के जवान तैनात रहते हैं जो मरीजों और उनके परिजनों को रोकते हैं। लेकिन एमआर को रोकने में नाकाम साबित हो रहे हैं। ये एमआर अस्पताल के विभिन्न हिस्सों में बेरोकटोक घुसकर डॉक्टरों से सेटिंग कर रहे हैं और उनकी दवाएं लिखने का दबाव बना रहे हैं।

मरीजों की पर्ची भी देख रहे एमआर
एमआर ओपीडी में डॉक्टर से कंसल्टेशन करने के बाद निकले मरीजों को रोककर उनकी दवाइयों की पर्ची चेक करते हैं। यह जानने के लिए कि क्या डॉक्टर ने उनकी कंपनी की दवाइयां लिखी हैं। अगर दवाएं नहीं लिखी जातीं है तो वे फिर से संपर्क करते हैं। वहीं डॉक्टरों से अपनी कंपनी की दवा लिखने को कहते हैं। इसके अलावा वार्ड में भर्ती मरीजों को भी दवाइयां पहुंचाई जाती हैं ताकि उनका प्रचार किया जा सके। वहीं सिक्योरिटी में तैनात होमगार्ड्स को भी ये लोग चढ़ावा चढ़ाते हैं जिससे कि कैंपस बेरोकटोक आना जाना कर सके।
हॉस्पिटल प्रबंधन ने जारी किया है नोटिस
एमआर की मनमानी पर रोक लगाने के लिए रिम्स प्रबंधन ने नोटिस जारी किया था। जिसमें साफ कहा गया था कि एमआर को केवल शनिवार को डॉक्टरों को विजिट कर सकेंगे। वह भी ओपीडी 2 बजे खत्म होने के बाद। लेकिन इसका कोई असर रिम्स में दिखाई नहीं दे रहा है। वहीं ये लोग सुबह से लेकर शाम तक रिम्स में डेरा डाले हुए हैं। इस वजह से मरीजों को डॉक्टर से कंसल्टेशन और रिपोर्ट दिखाने के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है।
सस्ती दवा के लिए प्रबंधन की पहल
रिम्स ने मरीजों को राहत देने के लिए पहल की है। प्रबंधन ने मरीजों को अब केवल तय दुकानों से ही दवाएं खरीदने को कहा है, जिससे उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसके अलावा ये भी नोटिस जारी किया गया है कि यदि मरीज बाहर से दवाएं खरीदते हैं और उन्हें नुकसान होता है तो इसके लिए प्रबंधन जिम्मेवार नहीं होगा। हॉस्पिटल कैंपस में दो दुकानें अमृत फार्मेसी और भारतीय जन औषधि केंद्र चल रही है। यहां सस्ती दवाएं उपलब्ध हैं, जिसमें जन औषधि केंद्र में 500 से अधिक दवाइयां उपलब्ध हैं, जबकि अमृत फार्मेसी में भी सैंकड़ों दवाएं और सर्जिकल आइटम्स सस्ते दामों पर मिल रहे हैं।


