इंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई : समलैंगिकता ऐसा विषय है, जिसे आज भी हमारे देश और समाज में सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं किया जाता है। गदर फेम अभिनेत्री अमीषा पटेल की ओर से दिये गये एक बयान के बाद समलैंगिकता को लेकर नये सिरे से बहस शुरू हो गयी हैं। उन्होंने अपने एक साक्षात्कार में कहा है कि ओटीटी समलैंगिकता और गे-लिस्बियनिज्म से भरा हुआ है।
वहां साफ-सुथरा कंटेट नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि एक ही परिवार के लोग बैठकर ओटीटी कंटेंट नहीं देख सकते। लोग साफ सुथरे सिनेमा का इंतजार कर रहे हैं। बयान के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या ओटीटी से पहले समलैंगिकता को लेकर सिनेमा पूरी तरह से मौन था। जवाब मिलता है नहीं।
ये फिल्में बनीं इन विषयों पर
दरअसल,समलैंगिक विषयों पर बॉलीवुड शुरू से फिल्में बनाता रहा है। इस विषय पर पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं। भले ही इन फिल्मों को ज्यादा दर्शक नहीं मिले लेकिन बहुत सारे लोगों को यह फिल्में पसंद आईं। आइये जानते है बॉलीवुड की वो कौन सी 10 चर्चित फिल्में है, जो समलैंगिक रिश्तों पर बनाई गई हैं। यह लोगों के भारी विरोध के बाद बावजूद चर्चा में बनी रहीं।
तमन्ना, फायर, दायरा, दरमियां, कपूर एंड सन्स, माई ब्रदर निखिल, आई एम, बॉम्बे टॉकीज़, मर्गरिता विद अ स्ट्रॉ (Margarita With A Straw),अलीगढ़। यह सभी फिल्में समलैंगिक विषय पर बनी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय पर अपना मत साफ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एतिहासिक फैसला सुनाते हुए सेक्शन 377 को रद्द कर दिया है। इस फैसले के देश में रहने वाले LGBT समाज के लोगों की खुल कर जीने की उम्मीद बढ़ गई है।
ये रहीं चर्चित फिल्में
1.मेरा ब्रदर निखिल ( My Brother Nikhil) इस फिल्म में जूही चावला और संजय सुरी ने मुख्य भूमिका निभाई थी। इस फिल्म की कहानी एचआईवी और समलैंगिकता को भावनात्मक रूप में प्रस्तुत किया गया है।
2. आई एम (I Am) :2010 में आई फिल्म ‘ आई एम’ को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है। फिल्म के निर्देशक ओनीर है। समलैंगिक रिश्तों पर बनी
इस फिल्म ने समाज के लोगों पर गहरा असर छोड़ा। साथ ही लोगों का नजरिया भी बदला।
3. बॉम्बे टॉकीज़ ( Bombay Talkiz) : यह फिल्म 2013 में रिलीज हुई थी। जिसका निर्देशन मुख्य रूप से अनुराग कश्यप, करण जौहर, दिबाकर बनर्जी और जोया अख्तर ने निभाया है। वहीं इसमें अभिनेता के रूप में रणदीप हुडा और सकीब सलीम है। फिल्म में दोनों के लिप लॉक सीन है।दोनों एक गे कपल के रोल में है। जो फिल्म के रिलीज के बाद खूब सुर्खियां बटोरी थी।

4.मर्गरिता विद स्ट्रा (Margarita With Astraw) : इस फिल्म की कहानी और फिल्मों से हट के है।साथ ही अच्छी फिल्म बनी थी। 2015 में आई इस फिल्म के मुख्य भूमिका में कल्की कोचलिन जो सेरीब्रल पाल्सी बीमारी से पीड़ित है। इस फिल्म में वह एक अंधे दोस्त के साथ समलैंगिक रिश्ते में रहती है। इस फिल्म में दिव्यांगों को यौन जरूरत को दिखाया गया है।वहीं इनके प्रति समाज की नफरत को दिखाया गया है।
5 . अलीगढ़ ( Aligarh) 2016 में आई इस फिल्म का निर्देशन हंसल मेहता ने की थी। इस फिल्म के मुख्य भूमिका में मनोज वाजपेयी है। इसकी कहानी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के एक गे प्रोफेसर राम चंद्र सिरस की कहानी से सबंधित है। इस फिल्म की की कहानी सच्ची घटना पर आधारित है। फिल्म रिलीज के बाद दर्शकों ने इस फिल्म को खूब पसंद किया था।
6. कपूर एंड संस ( kapoor and Sons) : इस फिल्म के माध्यम से बताया गया है कि गे होना कोई Crime नहीं है। फिल्म में इस विषय को सच्चाई के साथ दिखाया गाय है। 2016 में आई
इस फिल्म के मुख्य भूमिका में फवाद खान है। जो एक परिवार के बड़े बेटे की भूमिका में है। यह फिल्म पूरी तरह से फैमिली ड्रामा है।
7. फायर ( Fire) बॉलीवुड में समलैंगिक विषय पर 1996 में फिल्म रिलीज हुई थी, जिसका नाम फायर था। इस फिल्म की निर्देशक दीपा मेहता थी। उन्होंने बॉलीवुड में एक नए विषय पर फिल्म बनाकर देश भर में सुर्खियां बटोरी। इस फिल्म में मुख्य भूमिका में सबाना आजमी और नंदिता दास थी। हालांकि इस फिल्म के रिलीज होने के बाद खूब हो हल्ला हुआ था। काफी विरोध भी हुआ था।
8.तमन्ना (Tamanna) इस फिल्म को राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था। तमन्ना फिल्म के निर्देशक महेश भट्ट थे। वहीं इसमें मुख्य भूमिका में परेश रावल थे। जिन्होंने एक किन्नर की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में मुख्य रूप से समाज द्वारा थर्ड जेंडर के प्रति नकरात्मक रवैया दिखाया गया था।
9.दरमियां ( Darmiyan)
इस फिल्म की कहानी में एक ट्रांसजेंडर का दर्द और संघर्ष को दिखाया गया है। 1997 में बनी यह फिल्म बॉलीवुड में खूब सुर्खियां बटोरी थी। इस फिल्म के निर्देशक कल्पना लाजिमी है। इस फिल्म में किरण खेर और आरिफ जाकिरिया मुख्य भूमिका निभाई थी। इसकी कहानी फिल्म एक्ट्रेस के किन्नर बेटे की कहानी है।
10.दायरा ( Dayra) आमोल पालेकर के निर्देशन में बनी यह फिल्म को खूब सराहना मिली थी। यह फिल्म 1997 में बनी थी। इस फिल्म की कहानी एक थियेटर आर्टिस्ट और एक गाँव की लड़की के इर्द गिर्द घूमती है। जो इस फिल्म में दोनों ही संघर्ष करते है। मुख्य भूमिका निर्मल पांडे और सोनाली कुलकर्णी है। फिल्म में निर्मल पांडे एक थियेटर एक्टर है जो उन्हें महिला का रोल निभाना पड़ता है।
वहीं गाँव की लड़की की भूमिका में सोनाली कुलकर्णी है। जो मजबूरी में पुरुष बनकर अपने संघर्षो को पूरा करती है। ऐसे में समाज क्रॉस ड्रेसिंग को लेकर खूब मजाक किया जाता है। फिल्म में यही दिखाया गया है।
इस फिल्म को इंटरनेशनल लेवल पर भी सुर्खियां बटोरी थी।

