लखनऊ : लखनऊ में एलडीए अफसरों का बड़ा कारनामा सामने आया है। अफसरों ने बिल्डर को डूब क्षेत्र की जमीन के बदले 100 करोड़ का भूखंड दे दिया। उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने जांच कराई तो फर्जीवाड़े की पुष्टि हुई।जिसके बाद आवंटन निरस्त कर दिया गया। बिल्डर के पक्ष में किया गया समायोजन सोमवार को निरस्त कर दिया। एलडीए उपाध्यक्ष डॉ. इन्द्रमणि त्रिपाठी ने कहा कि घोटाले में शामिल जिम्मेदारों को चिह्नित करने की कार्यवाही शुरू की गई है। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को रिपोर्ट भेजेंगे।
इस तरह हुआ फर्जीवाड़ा
एलडीए अफसरों ने बिल्डर की नदी की कौड़ियों की जमीन के बदले में 100 करोड़ रुपये के पांच व्यावसायिक व ग्रुप हाउसिंग भूखंड को दे दिया। बिल्डर राजगंगा डेवलपर्स के पक्ष में हुआ समायोजन सोमवार को निरस्त किया गया। जमीन समायोजन घोटाले की बुनियाद वर्ष 2006 में ही एलडीए अधिकारियों ने तैयार कर दी थी, पर कामयाब नहीं हो पाए। इसके बाद फिर 2015 में इस फर्जीवाड़े का को अंजाम दिया।
दूसरे की जमीन बिल्डर ने पहले की अपने नाम की, फिर कराया समायोजन
प्राधिकरण सचिव पवन कुमार गंगवार के अनुसार बिल्डर मेसर्स राज गंगा डेवलपर्स के बिजनेस पार्टनर संचित अग्रवाल पुत्र अशोक कुमार अग्रवाल ने 30 अक्तूबर 2006 को प्रार्थना पत्र दायर किया था कि उसे गोमती नगर के मलेशेमऊ के खसरा संख्या-673क क्षेत्रफल 6070 वर्गमीटर भूमि के बदले इतनी ही अविकसित जमीन प्राधिकरण की योजना में कहीं अन्य दे जाये। भूमि बन्दोबस्ती अभिलेखों में जमीन महादेव प्रसाद पुत्र पुत्तू लाल के नाम से थी। जिसे महादेव प्रसाद ने नौ जनवरी 2006 को राज गंगा डेवलपर्स को बेचा था। जमीन का नामांतरण भी बिल्डर राज गंगा डेवलपर्स के नाम हो गया। उपाध्यक्ष इन्द्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि मेसर्स राज गंगा डेवलपर्स को गोमती नगर विस्तार के सेक्टर-4 में शहीद पथ के पास 18 मीटर चौड़ी सड़क पर ग्रुप हाउसिंग व व्यावसायिक उपयोग के भूखंड समायोजित किये गये थे। प्रकरण की जांच कराई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। इसके आधार पर उसे आवंटित जमीन संख्या-1269ए, 1269बी, 1269सी, 1269डी तथा 1269ई का समायोजन निरस्त किया गया। इन जमीन की कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये है। प्राधिकरण इन भूखंडों को में लेगा।
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नदी की जमीन को बाहर दिखाकर कर अदला बदली की
अमर शहीद पथ गोमती नगर विस्तार योजना के तहत एलडीए ने मलेशेमऊ व अन्य गांवों की 1146.75 एकड़ भूमि वर्ष 2000 में अधिग्रहित की थी। लेकन मलेशेमऊ के खसरा संख्या-673क की जमीन गोमती नदी में होने की वजह से इसका अधिग्रहण नहीं हुआ था। लेकिन अर्जन अनुभाग में तैनात तत्कालीन अधिकारियों व कर्मचारियों ने उक्त भूमि के एक अंश खसरा संख्या-673ख को नदी में होना दर्शा दिया, वहीं दूसरे पार्ट खसरा संख्या-673क को नदी से प्रभावित न दिखाकर प्राधिकरण के कब्जे में होना दिखा दिया। इसी जमीन के बदले 12 जनवरी 2007 को उक्त जमीन राज गंगा डेवलपर्स को प्राधिकरण की सेक्टर-4 में इतनी ही भूमि समायोजित कर दी गई। इसके एवज में फर्म ने बाह्य विकास शुल्क के रूप में 25 लाख रुपये प्राधिकरण कोष में जमा किये थे। हालांकि उस समय उसकी एक्सचेंज डीड फर्म के पक्ष में निष्पादित नहीं हो पाई थी ।