राउरकेला: हम हॉकी विश्व कप की मेजबानी करते हैं और विभिन्न स्थानों से हजारों आगंतुकों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं. उन्हें हॉकी स्टेडियम तक पहुंचाने के लिए महंगी बसें खरीदने में काफी पैसा लगाते हैं. यातायात नियमों को लागू करते हैं, ट्रैफिक पुलिस हर कोने पर तैनात है. हेलमेट नहीं पहनने, सीट बेल्ट नहीं लगाने या लापरवाह ड्राइविंग के लिए जुर्माना लेना आदि है. वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोग अत्यंत खतरनाक परिस्थितियों में यात्रा करने को मजबूर हैं. लोगों को एक ऑटो ऐसे ठूस दिया जाता है जैसे भेड़-बकड़ी हों. दुर्भाग्य से, राउरकेला में यह कोई असामान्य बात नहीं है. ऐसे कई ऑटो-रिक्शा यात्रियों को बदहवास तरीके से लाते, ले जाते देखे जा सकते हैं. राउरकेला ने अतीत में ऑटो-रिक्शा से जुड़ी कई दुर्घटनाओं का अनुभव किया है. आश्चर्यजनक रूप से, यह स्थिति बाहरी इलाकों में ही नहीं बल्कि राउरकेला के शहरी इलाकों में देखी जा सकती है. इसके बावजूद जिला प्रशासन की ओर से इस दिशा में कार्रवाई नहीं होने से लोग दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं. शहर के लोगों का कहना है कि जब तक ऑटो वाले पूरी ऑटो को भरते नहीं आगे जाने को तैयार नहीं होते. लोगों की मजबूरी होती है सो जाना पड़ता है. प्रशासन अगर इस दिशा में सख्ती दिखाये तभी स्थितियां बदल सकती है. नहीं तो ऑटो वालों को सड़क सुरक्षा से कोई लेना देना नहीं है. लोग इसी तरह जान गवाते रहेंगे. इस ओर प्रशासन को ध्यान देना जरूरी हो गया है.
ODISHA : राउरकेला में जान जोखीम में डाल ऑटो की सवारी लोगों की मजबूरी
written by Rakesh Pandey
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Rakesh Pandey
प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता में 17 वर्षों से ज्यादा समय से सक्रिय. जर्नलिज्म में डिग्री। 2002 में सन्मार्ग, सलाम दुनिया, प्रभात खबर, ईटीवी और सूत्रकार में काम करने का अनुभव. हेल्थ, खेल और जनरल विषयों पर रिपोर्टिंग और डेस्क का काम. संगीत, रंगकर्म और लोक संस्कृति में दिलचस्पी