श्रीनगर : जम्मू कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती को एक बार फिर से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी(पीडीपी) का अध्यक्ष चुन लिया गया है। उन्हें सर्वसम्मति से पार्टी प्रमुख बनाया गया है। पीडीपी का गठन मुफ्ती मोहम्मद सईद ने वर्ष 1999 में किया था। पीडीपी ने वर्ष 2002 में कांग्रेस और वर्ष 2014 में भाजपा के साथ गठजोड़ में जम्मू कश्मीर में सरकार का गठन किया था। अध्यक्ष चुने जाने के तुरंत बाद महबूबा मुफ्ती ने इजरायल-हमास युद्ध के दौरान गाजा में मारे गए फिलिस्तीन नागरिकों के लिए दो मिनट का मौन रखा। इसके बाद उन्होंने कहा, मैं पीएम मोदी से अपील करती हूं कि बेंजामिन नेतन्याहू आपके दोस्त हैं, आपको उनसे बात करके मासूम फिलिस्तीनी नागरिकों पर बमबारी बंद करानी चाहिए।
अध्यक्ष पद के लिए प्रस्ताव
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (People’s Democratic Party) की कोर समिति की पार्टी मुख्यालय में एक बैठक हुई। इसमें पार्टी उपाध्यक्ष अब्दुल रहमान वीरी ने अध्यक्ष पद के लिए महबूबा मुफ्ती के नाम का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि महबूबा मुफ्ती ही मौजूदा परिस्थितियों में संगठन को मजबूत और एकजुट बनाए रखने में समर्थ हैं। सभी को उनके नेतृत्व में यकीन है। पार्टी महासचिव गुलाम नबी लोन हंजूरा ने भी अब्दुल रहमान वीरी के प्रस्ताव का समर्थन किया। इसके बाद बैठक में मौजूद अन्य नेताओं ने भी उनका समर्थन किया और महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) एक बार फिर सर्वससम्मति से पीडीपी की प्रधान चुन ली गईं। उनका कार्यकाल तीन वर्ष का रहेगा।
अध्यक्ष चुने जाने के बाद महबूबा मुफ्ती ने कही ये बात
अध्यक्ष चुने जाने के बाद महबूबा मुफ्ती ने कहा कि मेरा मकसद सिर्फ जम्मू कश्मीर और इसके लोगों के सामाजिक-राजनीतिक-आर्थिक हितों का संरक्षण है। जम्मू कश्मीर के पहचान की रक्षा करना हमारा मकसद है। जम्मू कश्मीर में शांति बनाए रखने और कश्मीर मसले का समाधान हमारा मकसद है।
उन्होंने पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से एकजुट रहने की अपील करते हुए कहा कि केंद्र सरकार और भाजपा जम्मू कश्मीर की आवाज को दबाने के लिए पीडीपी को तोड़ने के लिए लगातार कोशिशें कर रही है। उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर जम्मू कश्मीर में भाजपा की सांप्रदायिक और जम्मू कश्मीर विरोधी नीतियों को नाकाम बनाना है।
इजरायल-गाजा मुद्दे पर ध्रुवीकरण
महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैंने देखा है कि बीजेपी किस तरह से इजरायल-गाजा मुद्दे पर भी ध्रुवीकरण कर रही है। मैं देख रही हूं कि मीडिया के एक बड़े हिस्से को रातोंरात इजरायल भेज दिया गया है। वे मणिपुर में हो रहे अत्याचारों को कवर नहीं करना चाहते थे, जहां हमने उन महिलाओं की बेहद परेशान करने वाली, विचलित करने वाली तस्वीरें देखीं, जिनके साथ बलात्कार किया गया, जिन्हें निर्वस्त्र करके सड़कों पर घुमाया गया।
महबूबा मुफ्ती ने कहा, फिलिस्तीन में की गई बमबारी में 2 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, मैं उनके लिए दुखी हूं, लेकिन मेरा मानना है कि एक दिन फिलिस्तीन को अपना देश वापस मिल जाएगा।
पीडीपी का उद्देश्य सरकार बनाना नहीं
उन्होंने आगे कहा, पीडीपी सभी गलत चीजों का विरोध करती है। हमारा उद्देश्य सरकार बनाना नहीं है, पीडीपी सरकार नहीं बनाना चाहती, बल्कि उसका मुख्य लक्ष्य वह हासिल करना है जिसके लिए मुफ्ती मुहम्मद सईद ने इस पार्टी को बनाया था। मुफ्ती मुहम्मद सईद ने हुर्रियत से बातचीत की पहल की। ऐसा कश्मीर के इतिहास में पहली बार हुआ जब पिता ने हुर्रियत से बातचीत की वकालत की था। उन्होंने कहा, ‘उनकी पार्टी सिर्फ सत्ता पाने, चुनाव लड़ने के लिए राजनीति और किसी गठबंधन में नहीं है, उनका उद्देश्य बड़ा है।
उनका उद्देश्य जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को बहाल करना और यहां के लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करना है। यहां के लोगों और उनकी इच्छा के अनुसार सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए जम्मू कश्मीर के व्यापक मुद्दे को हल करना है। इसलिए, मैं केवल आशा कर सकती हूं कि गठबंधन भविष्य में भी एकजुट रहेगा।’
महबूबा मुफ्ती की पॉलिटिकल जर्नी
महबूबा मुफ्ती ने अपना राजनीतिक करियर कांग्रेस पार्टी के साथ शुरुआत किया था। साल 1996 में वह कांग्रेस के टिकट पर बिजबेहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ीं और जीत दर्ज की। साल 1999 में उन्होंने श्रीनंगर से सांसद का चुनाव लड़ा लेकिन उमर अब्दुल्ला से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस पार्टी से विवाद होने के बाद उन्होंने कांग्रेस से किनारा कर पीडीपी का गठन किया।
साल 2002 में राज्यसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पहलगाम सीट से चुनाव जीता और अनंतनाग सीट से लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने 2004 और 2014 में जीत दर्ज की थी। जम्मू कश्मीर की राजनीति में उस समय बदलाव आया जब महबूबा मुफ्ती की पार्टी पीडीपी और भाजपा के बीच गठबंधन हुआ। चुनाव जीतकर मुफ्ती मोहम्मद सईद राज्य के मुख्यमंत्री पद पर आसीन हुए लेकिन उनकी मौत के बाद महबूबा के हाथों में राज्य की सत्ता आई। वह पहली महिला मुख्यमंत्री बन गईं। हालांकि साल 2018 में पीडीपी और भाजपा का गठबंधन टूट गया और राज्य में सरकार गिर गई। फिलहाल उनकी पार्टी एनडीए के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर बने इंडिया गठबंधन का हिस्सा है।
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