पॉलिटिकल डेस्क: Putin Wins Russian President Election 2024: रूस में रविवार को संपन्न हुए राष्ट्रपति का चुनाव में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने धमाकेदार जीत हासिल की है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक पुतिन को 88 फीसदी वोट मिले हैं। राष्ट्रपति के तौर पर उनका यह पांचवां कार्यकाल होगा। वह साल 1999 से रूस की सत्ता में काबिज हैं।
Putin Wins Russian President Election 2024 : अब रूस और भी ज्यादा ताकतवर व प्रभावशाली बनेगा: पुतिन
बता दें, कि रूस में तीन दिन की चुनावी प्रक्रिया के दौरान पुतिन के प्रतिद्वंद्वी निकोले खारितोनोव को 4 फीसदी वोट मिले। वहीं व्लादिस्लाव दावानकोव और लियोनिट स्लटस्की क्रमशः तीसरे और चौथे नंबर पर रहे। चुनाव नतीजों के बाद पुतिन ने कहा कि अब रूस और भी ज्यादा ताकतवर और प्रभावशाली बनेगा।
स्टालिन से आगे निकले पुतिन
इस जीत के साथ पुतिन ने साल 2030 तक के लिए नया कार्यकाल सुरक्षित कर लिया है। इसके साथ ही पुतिन रूस की सत्ता में बनने रहने के मामले में जोसेफ स्टालिन से भी आगे निकल गए हैं। स्टालिन रूस के 200 साल के इतिहास में सबसे ज्यादा समय तक सत्ता में बने रहने वाले नेता थे, लेकिन अब पुतिन ने उनको पीछे छोड़ दिया है और नया रिकॉर्ड कायम करने जा रहे हैं।
जानिए कैसा रहा पुतिन का 25 साल का सियासी सफर?
व्लादिमीर पुतिन साल 1999 से रूस की सत्ता में बने हुए हैं। इस दौरान वो राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पद पर रहे हैं। साल 1999 रूस के राष्ट्रपति बोरिस येल्तसिन ने खराब स्वास्थ्य की वजह से राष्ट्रपति का पद छोड़ दिया था। 31 दिसंबर 1999 को पुतिन को कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाया गया था। इसके बाद साल 2000 और 2004 के राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन ने जीत हासिल की।
एक बार बने थे प्रधानमंत्री, क्या थी PM बनने की वजह?
रूस में उस समय नियम था कि कोई भी शख्स लगातार 3 बार राष्ट्रपति नहीं बन सकता है। इसलिए साल 2008 के राष्ट्रपति चुनाव में पुतिन ने दिमित्री मेदवेदेव को राष्ट्रपति बनाया और खुद प्रधानमंत्री बन गए। इसके बाद उन्होंने कानून में ही बदलाव कर दिया। सितंबर 2011 में रूस के कानून में बदलाव हुआ और राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 साल की बजाय 6 साल का कर दिया गया। साल 2012 में राष्ट्रपति पद के तीसरे कार्यकाल के लिए पुतिन ने जीत हासिल की और 6 साल का कार्यकाल पूरा किया। साल 2018 चुनाव में पुतिन ने 76 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल की और अब तक राष्ट्रपति के पद पर काबिज हैं।
जीत की एक वजह ये भी
व्लादिमीर पुतिन की जीत की एक वजह ये भी है कि वहां उनका मुकाबला करने के लिए कोई बड़ा नेता है ही नहीं। रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने पिछले साल कहा था, ‘फिलहाल उनका कोई प्रतिद्वंदी नहीं है और कोई हो भी नहीं सकता। असल में कोई भी उनका मुकाबला नहीं कर सकता।’ रूस में अभी वाकई में कोई भी ऐसा नेता नहीं है जो पुतिन को टक्कर दे सके। पुतिन का विरोध करने वाले नेताओं की या तो मौत हो चुकी है या फिर अज्ञातवास पर हैं।
पुतिन के विरोधी नेता की जेल में हो गई थी मौत
पिछले महीने ही पुतिन के कट्टर विरोधी नेता एलेक्सी नवलनी की आर्कटिक जेल में मौत हो गई थी। माना जाता है कि नवलनी ही पुतिन को टक्कर दे सकते थे। नवलनी के अलावा प्राइवेट आर्मी के चीफ येवगेनी प्रिगोझिन को भी पुतिन का बड़ा प्रतिद्वंदी माना जाता था। लेकिन कुछ ही महीनों पहले एक विमान हादसे में प्रिगोझिन की भी मौत हो गई।
चुनाव लड़ने से रोके गए बोरिस नादेझदीन
इन दोनों के अलावा पुतिन के एक और विरोधी उभर रहे थे, जिनका नाम बोरिस नादेझदीन है। लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें राष्ट्रपति चुनाव में खड़ा होने से ही रोक दिया। वहीं इस चुनाव में पुतिन का मुकाबला तीन नेताओं- निकोलाई खारितोनोव, लियोनिद स्लत्स्की और व्लादिस्लाव दावानकोव से हुआ था। इन तीनों को भी डमी कैंडिडेट ही माना जा रहा था।
ऐसे राजनीति में आए थे पुतिन
7 अक्टूबर 1952 को सोवियत संघ के लेनिनग्राड में व्लादिमीर व्लादिमीरोविच पुतिन और मारिया इवानोवना के घर व्लादिमीर पुतिन का जन्म हुआ। वो अपने माता-पिता की तीसरी संतान थे। उनके दो बड़े भाइयों की बचपन में ही बीमारी से मौत हो गई थी। पुतिन के दादा स्पिरिडोन पुतिन सोवियत नेता व्लादिमीर लेनिन और जोसेफ स्टालिन के पर्सनल कुक थे। पुतिन के पिता सोवियत नेवी में तो उनकी मां फैक्ट्री में काम किया करती थीं। सितंबर 1960 से पुतिन ने अपने घर के पास के ही एक स्कूल से पढ़ाई शुरू की। उन्होंने सेंट पीटर्सबर्ग स्टेट यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की।
जर्मनी में जासूस रहे थे पुतिन
1975 में पुतिन ने सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी केजीबी को जॉइन किया। 1980 के दशक में उन्हें जर्मनी के ड्रेसडेन में एजेंट के तौर पर तैनात किया गया। ये विदेश में उनकी पहली तैनाती थी। करीब 16 सालों तक जासूस का काम करने के बाद पुतिन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और राजनीति में आ गए। पुतिन 25 साल से रूस की सत्ता पर काबिज हैं। पुतिन ने अपने शासन में विपक्ष और मीडिया पर कंट्रोल किया हुआ है। 1999 में भी जब येल्तसिन ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित किया तो कई लोग इस फैसले के खिलाफ थे, लेकिन पुतिन को कोई नहीं रोक सका।
READ ALSO : गठबंधन की रैली में Rahul Gandhi ने PM Modi पर बोला हमला, कहा- ‘राजा की आत्मा EVM और ED में’