नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल (एलजी) वीके सक्सेना ने दिल्ली पुलिस के दो अधिकारियों, हेड कांस्टेबल (एग्जीक्यूटिव) राकेश शर्मा और कांस्टेबल (एग्जीक्यूटिव) खुशी राम के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने की मंजूरी दी है। यह मंजूरी आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 197 के तहत दी गई है। इन दोनों पर आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में दर्ज एफआईआर नंबर 105/2018 के तहत गबन, जालसाजी और अन्य अपराधों के आरोप हैं। मामला 14 मई 2018 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409, 420, 467, 468, 471, 201, 120-बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 के तहत दर्ज किया गया था।
आंतरिक जांच में हुआ खुलासा
दिल्ली पुलिस की लाइसेंसिंग इकाई की आंतरिक जांच में पाया गया कि हथियार लाइसेंस, होटल, गेस्ट हाउस, खाने-पीने की दुकानों और प्रेस के लाइसेंस जारी करने व नवीनीकरण से संबंधित शुल्क जमा करने में अनियमितताएं थीं। जांच में सामने आया कि सिस्टम-जनरेटेड रसीदों के बजाय नकली रसीदें बनाकर नकद राशि एकत्र की गई, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की गई। इससे सरकारी खजाने को नुकसान हुआ। इसके अलावा, कुछ फाइलें कंप्यूटर से हटाई गईं और संबंधित दस्तावेज गायब पाए गए। यह गबन 1 सितंबर 2016 से 20 फरवरी 2018 के बीच हुआ।
जांच में पता चला कि मार्च 2017 से फरवरी 2018 के दौरान हथियार लाइसेंस नवीनीकरण काउंटर नंबर 2 पर तैनात हेड कांस्टेबल राकेश शर्मा और कैशियर कांस्टेबल खुशी राम ने मिलकर जाली रसीदें बनाईं। उन्होंने आधिकारिक कैश एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर को बाईपास कर नकली रसीदें छापीं। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की रिपोर्ट और ईओडब्ल्यू की चार्जशीट में दोनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पाए गए।
एलजी ने दिल्ली पुलिस के अनुरोध पर दिल्ली पुलिस अधिनियम, 1978 की धारा 140 के तहत मंजूरी के लिए मामले की पुन: जांच के निर्देश दिए हैं। दोनों अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संभावना भी विचाराधीन है।
Delhi: हेड कॉन्स्टेबल और कॉन्स्टेबल पर धोखाधड़ी और गबन के आरोप, LG वीके सक्सेना ने दी मंजूरी
जांच में सामने आया कि सिस्टम-जनरेटेड रसीदों के बजाय नकली रसीदें बनाकर नकद राशि एकत्र की गई, जो सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज नहीं की गई।
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