रांची/ED Raid In Jharkhand: झारखंड में ED ने 17 जगहों पर छापेमारी की है। प्रवर्तन निदेशालय ने आज मंगलवार की सुबह कांग्रेस की महिला विधायक अंबा प्रसाद (Amba Prasad) के रांची स्थित आवास पर छापेमारी के लिए पहुंची जानकारी के मुताबिक रांची, हजारीबाग समेत करीब 17 ठिकानों पर जांच जारी है। सूत्रों के अनुसार यह छापेमारी अंबा प्रसाद के आवास ही नहीं बल्कि उनके रिश्तेदारों के घर भी की जा रही है।
ED Raid In Jharkhand: किन-किन लोगों के ठिकानों पर पड़ा ईडी का छापा
ईडी ने जिन लोगों के ठिकानों पर छापा मारा है उसमें कांग्रेस के पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के साथ-साथ उनके भाई धीरेंद्र साव, साला मुकेश साव के हजारीबाग स्थित घर और केरेडारी के राजू साव शामिल है। इसके अलावा हजारीबाग जिला तेली समाज के अध्यक्ष सह व्यवसायी राजेंद्र साव के हजारीबाग खजांची तालाब रोड स्थित आवास पर भी ईडी का छापा पड़ा है।
जमीन घोटाले से जुड़ा है मामला
पूरा मामला जमीन घोटाले (Land Scam) से जुड़ा हुआ है। बता दें, हाल ही में एक जमीन विवाद में अंबा प्रसाद और उनके पूरे परिवार का नाम आया था। उसकी चारदीवारी भी जिला प्रशासन ने गिरा दी थी। सरकारी जमीन पर कब्जा का प्रयास का आरोप अंबा प्रसाद और उनके परिवार पर लगा था। गौरतलब है कि जमीन घोटाला मामले में छानबीन के क्रम में ईडी ने हज़ारीबाग जमीन विवाद केस को जांच के केंद्र में रखा है। बताया जा रहा है कि इस मामले में अंबा व उनके पारिवारिक सदस्यों की मुश्किलें बढ़ेंगी। इधर चुनाव से पहले राज्य में एक बार फिर से ईडी की दस्तक ने हलचल पैदा कर दी है।
अंबा प्रसाद सबसे कम उम्र की विधायक
झारखंड में कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद सबसे कम उम्र की विधायक हैं। 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने झारखंड की बड़कागांव सीट से चुनाव जीता था। उस समय उनकी उम्र मात्र 27 वर्ष थी। उन्होंने आजसू पार्टी के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को 30,140 वोटों से हराया था। जानकारी के मुताबिक वह दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी कर रही थी, लेकिन माता-पिता को जेल हो जाने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली।
अंबा प्रसाद के पिता रह चुके हैं मंत्री
अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव की बात करें तो वे साल 2009 के विधानसभा चुनाव में बड़कागांव सीट से विधायक बने थे। इसके बाद वे वर्ष 2013 में हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बने। लेकिन नक्सलियों से संबंध होने के आरोप लगने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की वजह से भी उन्हें जेल में रहना पड़ा। योगेंद्र प्रसाद साव के जेल में जाने के बाद उसी विधानसभा सीट से उनकी पत्नी निर्मला देवी ने साल 2014 में चुनाव लड़ा। जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई। 2016 में हुए एक गोलीकांड के बाद उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
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