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59 साल पुराना है मैथिली फिल्मों का इतिहास, इस फिल्म को मिल चुका है नेशनल अवार्ड

मैथिली सिनेमा का सफर 1960 के दशक में शुरू हुआ था। पहली मैथिली फिल्म "कन्यादान" (1965) थी, जिसे बिहार सरकार द्वारा निर्मित किया गया था। यह फिल्म मैथिली सिनेमा के इतिहास में अपना अलग मुकाम रखती है।

by Priya Shandilya
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भारत की सभी भाषाओं में मैथिली सबसे मधुर मानी जाती है। मैथिली भाषा अपनी मधुरता, शास्त्रीय महाकाव्यों, कवि विद्यापति के गीतों के लिए दुनिया भर में जानी जाती है। पर साहित्य और कला में जब बात मैथिली सिनेमा की आती है, तो यह काफी समय तक बैकफुट पर नजर आई। आइए जानते हैं मैथिली सिनेमा का क्या है इतिहास और राष्ट्रीय स्तर पर क्या है पहचान।

मैथिली सिनेमा का सफर 1960 के दशक में शुरू हुआ था। पहली मैथिली फिल्म “कन्यादान” (1965) थी, जिसे बिहार सरकार द्वारा निर्मित किया गया था। यह फिल्म मैथिली सिनेमा के इतिहास में अपना अलग मुकाम रखती है। दरअसल, “कन्यादान” फिल्म ने मैथिली भाषा और संस्कृति को बड़े पैमाने पर दर्शकों के बीच पहुंचाने का काम किया। फिल्म का निर्देशन फणि मजूमदार ने किया था और इसे काफी सराहना मिली। फिल्म की कहानी में हीरो को मैथिली भाषा नहीं आती है, वहीं उसकी नई-नवेली दुल्हन को सिर्फ मैथिली आती है। पत्नी के लिए हीरो मैथिली भाषा सीखने का फैसला करता है। यह फिल्म हरिमोहन झा के उपन्यास ‘कन्यादान’ पर आधारित है।

1980 के बाद बदला दौर

इसके बाद कुछ और फिल्में बनीं, लेकिन मैथिली सिनेमा का विकास काफी धीमा रहा। लिमिटेड रिसोर्सेज और लोगों के कम समर्थन की वजह से मैथिली फिल्में बहुत ही कम बनीं। लेकिन फिर 1980 के बाद मैथिली सिनेमा ने धीरे-धीरे अपनी पहचान बनानी शुरू की। “ममता गाबई गीत” (1983) जैसी फिल्मों ने दर्शकों के बीच अपनी जगह बनाई। हालांकि, मैथिली सिनेमा की फिल्मों की संख्या अभी भी सीमित थी, लेकिन इन फिल्मों ने सामाजिक मुद्दों और मिथिला की परंपराओं को बड़े पर्दे पर दिखाने का काम किया। साल 2000 के बाद से मैथिली सिनेमा में एक नया उत्साह देखा गया। इस दौरान तकनीकी विकास और फिल्मों के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि के चलते मैथिली फिल्म निर्माण में तेजी आई। “सस्ता जिनगी महग सेनूर” (2007) जैसी फिल्मों को काफी पॉपुलैरिटी मिली। इस दौर में न केवल बिहार और मिथिला क्षेत्र में बल्कि विदेशों में भी मैथिली फिल्मों को पसंद किया जाने लगा।

ओटीटी प्लेटफॉर्म पर मैथिली सिनेमा की पहुंच

धीरे-धीरे मैथिली सिनेमा की तादाद भी बढ़ी और पहुंच भी। बीते कुछ सालों में मैथिली सिनेमा ने डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी मौजूदगी का एहसास दिलाया है। अब मैथिली फिल्में न केवल क्षेत्रीय स्तर पर बल्कि ग्लोबल स्टेज पर भी धूम मचा रही हैं। इस दौरान कई नई फिल्में और वेब सीरीज भी आई हैं, जो मैथिली भाषा और संस्कृति को और भी समृद्ध बना रही हैं।

नेशनल अवार्ड जीत चुकी है यह मैथिली फिल्म

साल 2016 में आई फिल्म “मिथिला मखान” ने 63वें नेशनल फिल्म फेस्टिवल में “सर्वश्रेष्ठ मैथिली फिल्म” का अवार्ड अपने नाम कर इतिहास रचा था। यह पुरस्कार मैथिली सिनेमा के लिए एक बड़ा मान था, क्योंकि इसने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस भाषा और संस्कृति की फिल्मों को एक नई पहचान दिलाई।फिल्म का निर्देशन नितिन चंद्रा ने, और इसका निर्माण नीतू चंद्रा, नितिन चंद्रा और समीर कुमार ने किया था। मैथिली भाषा में बनीं इस फिल्म में क्रांति प्रकाश झा, अनुरिता झा ने लीड रोल निभाया था।

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