सेंट्रल डेस्क : दक्षिण बनाम उत्तर भारत के बीच हिंदी और क्षेत्रीय भाषा की बहस तीखी होती जा रही है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने सोमवार को आगामी सीमा निर्धारण प्रक्रिया (डिलीमिटेशन) को लेकर चिंता व्यक्त की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि इससे लोकतंत्र, राष्ट्रीय एकता और संघवाद पर गंभीर प्रभाव पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘जब 2026 या उसके बाद जनगणना होगी, तो इसके बाद होने वाला नया सीमा निर्धारण उस व्यवस्था को समाप्त कर सकता है, जिसके तहत पिछले 50 वर्षों से हम संसद के निर्वाचन क्षेत्रों को स्थिर रखते आए हैं’। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर बहुत गंभीर सवाल उठाए।
दक्षिण अलग-थलग महसूस करेगा
थरूर ने राजनीतिक शक्ति में संभावित बदलाव की ओर इशारा करते हुए पूछा, ‘क्या होगा यदि उत्तर भारतीय हिंदी-भाषी राज्य अचानक 2/3 बहुमत प्राप्त कर लें और वे संविधान में संशोधन कर सकें? क्या इससे दक्षिण को अलग-थलग महसूस होगा?’
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर संसदीय सीटों का आवंटन वर्तमान जनसंख्या आंकड़ों के आधार पर किया जाता है, तो इसके दूरगामी प्रभाव अनिश्चित हो सकते हैं। जनसंख्या में परिवर्तन होता रहता है। यह बढ़ेगी भी और सदी के अंत तक घटेगी भी। अगर आप अब जो जनसंख्या है, उसी का चित्र लेकर संसदीय सीटें आवंटित करते हैं, तो इसके हमारे लोकतंत्र, राष्ट्रीय एकता और संघवाद पर दीर्घकालिक प्रभाव क्या होंगे? कुछ चिंताएं और समाधान पर चर्चा करने की आवश्यकता है।
तमिलनाडु में हिंदी पर तीव्र प्रतिक्रिया
सीमा निर्धारण मुद्दे पर खासकर तमिलनाडु में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली है, जहां मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने दक्षिणी राज्यों के सांसदों और पार्टी प्रतिनिधियों को मिलाकर एक संयुक्त क्रियावली समिति बनाने का प्रस्ताव रखा। एक सर्वदलीय बैठक में स्टालिन ने प्रस्ताव दिया कि यदि संसदीय सीटों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो इसे 1971 की जनगणना के आधार पर किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि 1971 की जनगणना को 2026 से अगले 30 वर्षों तक सीमा निर्धारण का आधार माना जाना चाहिए।
बीजेपी ने किया बैठक का विरोध
सत्तारूढ़ पार्टी DMK ने, जो सीमा निर्धारण का लगातार विरोध करती रही है, यह तर्क दिया कि इस प्रक्रिया से तमिलनाडु की संसद में प्रतिनिधित्व घट सकता है। स्टालिन ने सवाल उठाया कि क्या तमिलनाडु को जनसंख्या नियंत्रण में सफलता के लिए सजा दी जा रही है। इस बैठक में AIADMK, कांग्रेस, वामपंथी दलों और अभिनेता-राजनीतिक नेता विजय की TVK ने भाग लिया, जबकि बीजेपी, तमिल राष्ट्रवादी NTK और तमिल मनीला कांग्रेस (मोपनार) ने इसका बहिष्कार किया।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु के संसदीय सीटों में कमी होने की चिंताओं को नकारते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में यह स्पष्ट किया था कि सीमा निर्धारण के बाद भी दक्षिण के किसी भी राज्य की सीटें नहीं घटेंगी’।