हजारीबाग/केरेडारी: झारखंड के हजारीबाग जिले के केरेडारी थाना क्षेत्र अंतर्गत कंडाबेर और बरियातू सीमावर्ती इलाके में 21 मई को एक बड़ा खदान हादसा सामने आया है। छावा नदी के किनारे स्थित एक अवैध कोयला खदान में अचानक पानी घुसने से तीन मजदूरों की मौत हो गई। हादसे के बाद पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है, वहीं प्रशासन और एनटीपीसी की मदद से राहत और बचाव कार्य जारी है।
हादसे की पूरी घटना
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह हादसा सोमवार की दोपहर लगभग 3 बजे तेज बारिश के बाद हुआ। हजारीबाग के छावा नदी किनारे अवैध रूप से संचालित कोयला खदान में अचानक भारी बारिश के कारण नदी का जलस्तर बढ़ गया। नदी के किनारे बनाई गई मेढ़ (बंधा) तेज बहाव को झेल नहीं सकी और टूट गई, जिससे नदी का पानी सीधे खदान के अंदर घुस गया। उस समय खदान में तीन मजदूर मौजूद थे, जो पानी निकालने के लिए मशीनें लगा रहे थे। पानी के तेज बहाव में वे तीनों मजदूर खदान के अंदर ही फंस गए और डूबने से उनकी मौत हो गई।
मृतकों की पहचान
हादसे में जान गंवाने वाले मजदूरों की पहचान निम्नलिखित रूप से हुई है:
- प्रमोद साव – पिता: रीतलाल साव, निवासी कंडाबेर गांव
- उमेश कुमार – पिता: शंभू साहू, निवासी कंडाबेर गांव
- नौशाद आलम – पिता: बदरुद्दीन मियां, निवासी कंडाबेर गांव
इनमें से प्रमोद साव और उमेश कुमार को खदान संचालक बताया जा रहा है।
प्रशासन और एनटीपीसी की कार्रवाई
हादसे की जानकारी मिलते ही प्रशासन की टीम घटनास्थल पर पहुंची और बचाव कार्य शुरू किया गया। शवों की तलाश के लिए प्रशासन ने एनटीपीसी से मदद मांगी। एनटीपीसी की ओर से खदान से पानी निकालने के लिए तीन बड़े पंप (मोटर) उपलब्ध कराए गए हैं। फिलहाल, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है और खदान से पानी निकालने का प्रयास तेजी से हो रहा है।
अवैध खनन पर उठे सवाल
इस घटना ने इलाके में कई महीनों से चल रहे अवैध कोयला खनन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे यह अवैध उत्खनन महीनों से चल रहा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई। हादसे के बाद प्रशासनिक लापरवाही को लेकर क्षेत्र में आक्रोश है।
आगे की कार्रवाई
प्रशासन द्वारा मामले की जांच शुरू कर दी गई है। अवैध खनन में शामिल लोगों और इसके पीछे के नेटवर्क की जांच की जा रही है। वहीं, मृतकों के परिजनों को सहायता देने की प्रक्रिया पर भी विचार किया जा रहा है।
यह हादसा झारखंड में अवैध खनन के खतरनाक पहलू को उजागर करता है और संबंधित विभागों की जिम्मेदारियों पर गंभीर सवाल खड़े करता है।