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बेटियों की दास्तां सुनकर, भर आयी थी महानायक की आंखें 

by Rakesh Pandey
बेटियों की दास्तां सुनकर भर आयी थी महानायक की आंखें 
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देवघर : झाड़ी-झुरमुट, जंगल, सूने स्थान में नवजात बेटियों को छोड़कर सांसारिक दायित्व से पल्ला झाड़ लेने वालों के लिए नारायण सेवा आश्रम डेढ़ दशक से अधिक समय से एक ठिकाना बना हुआ है। अनाथ बच्चियों की किलकारी आश्रम में मंदिर के घंटे की तरह गूंजती है। अनाथ बेटियों के माता-पिता बनकर उनका जीवन संवारने वाले हरे राम पांडेय एक ऐसे पिता हैं जो इन संतानों को परमात्मा का दिया वरदान मानते हैं। भगवान के नाम पर बच्चियों को सांसारिक मझधार में छोड़कर जाने वाली उस मां का आंचल आश्रम बना। नवजात को सहेजना, पाल पोसकर बड़ा करना एक मां ही जानती है। लेकिन जब एक पिता मां की भूमिका में हो तो वह कहानी कुछ और हो जाती है।

बेटियों की दास्तां सुनकर भर आयी थी महानायक की आंखें

ममतामयी यात्रा में आज 35 बच्चे-बच्चियां हैं। हरे राम पांडेय ने बताया कि अनाथ बच्चियों के आसरे का सहारा बने आश्रम के इस सफर पर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की नजर एक इंटरनेट मीडिया के माध्यम से पड़ी। और उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति की टीम को देवघर भेजा। आश्रम के संचालक हरेराम पांडेय को पापा और बाबा कहकर पुकारने वाली नौ बच्चियों की दास्तां सुनने के बाद सदी के महानायक और केबीसी के एंकर अमिताभ बच्चन भी अपने आंसू नहीं संभाल पाए थे। अमिताभ बच्चन ने ट्रस्ट को व्यक्तिगत 21 लाख का चेक दिया है। हरे राम पांडेय ने सेट पर कहा कि वह मरते मरते ऐसी बच्चियों की सेवा करते रहेंगे।

तापसी का आज हुआ था विशेष पूजन,  डाक्टर बनने की है अभिलाषा

 तापसी का महादशमी पर विशेष पूजन हुआ था। कारण वह आश्रम की पहली संतान है। जिसने हरे राम पांडेय को जीने का नया रास्ता दिखाया। ऐसे भी घर में बड़ा संतान खास होता है।  केबीसी के सेट पर बताया था कि परिवार में किसी बात को लेकर अनबन हो गया तो देवघर आ गए। एक छोटा सा आशियाना बनाया। पति-पत्नी रह रहे थे। तभी नौ दिसंबर 2004 की सुबह शोर सुनायी दिया कि एक नवजात जंगल में फेंकी हुई है। उनका व्याकुल मन वहां गया और बच्ची को उठाकर घर ले आया। इस बच्ची ने आत्मा से आवाज दिलायी कि परमात्मा ने जीने का रास्ता दे दिया है।

देवघर कालेज के सुनसान मैदान में एक बच्ची मिली।  छह जनवरी 2012 का दर्दनाक वाक्या सुनाया कि एक नवजात ट्रेन के शौचालय में पड़ा था। जीआरपी ने नवजात को उठा लाया। जसीडीह की ही रहने वाली एक ममता ने उसे सहारा दिया। बाद में उस मां ने जब यह देखा कि बच्ची आंख ही नहीं खोल रही तो उसने जीआरपी से बच्चा वापस लेने की विनती की। हरे राम पांडेय ने बताया कि उनको जब यह जानकारी मिली तो भगवान का प्रसाद समझकर ग्रहण कर लिया। वह बच्ची आज भी आश्रम में है और वह इस दुनियां को नहीं देख सकती है। इतना सुनते ही अमिताभ बच्चन की आंख भर आयी। जिन नौ देवी स्वरूपा को लेकर इन बच्चों के पिता हरे राम केबीसी में पहुंचे थे उन बच्चियों में तापसी और खुशी ने बताया कि वह डाक्टर बनना चाहती है। तो अमिताभ बच्चन ने कहा कि इसी तरह सेवा करते रहिए। और उन्होंने ट्रस्ट के खाते में अपनी ओर से 21 लाख का चेक भेज दिया।

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