Palamu (Jharkhand) : झारखंड के पलामू जिले के हुसैनाबाद अनुमंडलीय अस्पताल में डॉक्टर की त्वरित तत्परता और विशेषज्ञता के कारण आठ वर्षीय बच्ची को नया जीवन मिला है। हुसैनाबाद शहर के इस्लामगंज मोहल्ले की आठ वर्षीया सबरीन परवीण खेलते समय गलती से दो रुपये का सिक्का निगल गई, जो उसके गले में फंस गया। सांस लेने में कठिनाई होने पर परिजन उसे आनन-फानन में अस्पताल ले आए।
रेफर होने के बाद डॉ. मंज़ूर ने संभाला
बच्ची के गले में सिक्का अटकने के बाद, उसे पहले एक निजी अस्पताल ले जाया गया था। वहां सफलता नहीं मिलने पर परिजन उसे अनुमंडलीय अस्पताल लाए, जहां आपातकालीन ड्यूटी पर डॉ. विकास कुमार मौजूद थे। डॉ. विकास ने करीब एक घंटे तक प्रयास किया, लेकिन सिक्का नहीं निकल पाया और बच्ची को रांची रिम्स रेफर कर दिया गया था।
परिजनों की निराशा के बीच अस्पताल में ही कार्यरत डॉ. मंज़ूर आलम से संपर्क किया गया, जो उस वक्त अपने हैदरनगर आवास पर थे। डॉ. मंज़ूर ने तत्काल अस्पताल पहुंचकर बच्ची का एक्स-रे कराया और सिक्का निकालने का प्रयास शुरू किया। अपनी पुरानी विशेषज्ञता का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने मात्र दो मिनट के भीतर सफलतापूर्व गले से सिक्का निकाल दिया। सिक्का बाहर निकलते ही बच्ची ने सामान्य रूप से सांस लेना शुरू किया, जिससे परिजनों ने राहत की सांस ली और डॉ. मंज़ूर आलम का धन्यवाद किया।
‘पानी और खांसी’ से ऐसे निकाला सिक्का
डॉ. मंज़ूर आलम ने बुधवार को इस सफल रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कॉलेज में प्रशिक्षण के दौरान उन्हें गले में फंसे सिक्के निकालने का पुराना अनुभव था। उन्होंने बताया, “बच्ची के नाक में पाइप डालकर उसमें पानी भर दिया गया और उसे जोर-जोर से खांसने के लिए बोला गया।” यह रेस्क्यू ऑपरेशन दो मिनट तक चला और सिक्का बिना किसी जटिलता के सामान्य स्थिति से ही बाहर आ गया।
डॉ. मंज़ूर ने यह भी बताया कि दो रुपये का सिक्का बड़ा होने के कारण अटक गया, जबकि पांच रुपये का सिक्का होता तो अंदर चला जाता, जहां से उसके शौच के रास्ते निकलने की संभावना रहती है, लेकिन तकलीफ काफी बढ़ जाती है।
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