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Jharkhand Ulihatu Mitti Birsa : भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु की मिट्टी से छत्तीसगढ़ में बनेगी धरती आबा की प्रतिमा

by Anand Mishra
Jharkhand Ulihatu Bisa Munda
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Khunti (Jharkhand) : भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु की मिट्टी अब झारखंड और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक एकता का नया अध्याय लिखने जा रही है। भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु की मिट्टी से छत्तीसगढ़ में धरती आबा की प्रतिमा बनेगी। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के दर्रीपारा, कुसमी में बिरसा मुंडा की भव्य प्रतिमा स्थापित करने की तैयारी शुरू हो गई है। इसके लिए उलिहातु से लाई गई मिट्टी की पूजा-अर्चना कर विधिवत स्वागत किया गया। यह पूरा आयोजन बिरसा मुंडा सेवा समिति, दर्रीपारा नगरपंचायत कुसमी की ओर से किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ से आए दल का भव्य स्वागत

इससे पूर्व समिति के सदस्य उलिहातु पहुंचे और भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली से पारंपरिक विधि-विधान के साथ मिट्टी संग्रह किया। मिट्टी को एक कलश में स्थापित कर यात्रा प्रारंभ की। शनिवार देर शाम जब यह दल कुसमी के दर्रीपारा पहुंचा, तो ग्रामीणों ने पारंपरिक आदिवासी वाद्ययंत्रों और रीति-रिवाजों के साथ उनका भव्य स्वागत किया।

पवित्र मिट्टी की पूजा व शुभ प्रतीक

साथ ही पवित्र मिट्टी की पूजा की गई और इसे आगामी प्रतिमा निर्माण के लिए शुभ प्रतीक माना गया। इस ऐतिहासिक पहल को दोनों राज्यों की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाला सेतु माना जा रहा है। समिति के सदस्यों ने कहा कि बिरसा मुंडा न केवल झारखंड के महान जननायक थे, बल्कि पूरे देश के आदिवासी समुदाय के प्रेरणास्रोत हैं। उनकी जन्मस्थली की मिट्टी से दूसरी जगह प्रतिमा निर्माण का उद्देश्य उनके संघर्ष, बलिदान और विचारों को नई पीढ़ी तक पहुंचाना है। इससे दोनों राज्यों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रिश्ते और भी मजबूत होंगे।

थोड़ी आपत्ति के बाद सहमत हुए ग्रामीण

हालांकि मिट्टी संग्रह के दौरान उलिहातु में कुछ स्थानीय ग्रामीणों ने आपत्ति दर्ज कराई। उनका कहना था कि गांव की मिट्टी को बाहर ले जाने से पहले पंचायत और ग्रामीणों से स्पष्ट सहमति ली जानी चाहिए। थोड़ी देर वार्ता के बाद माहौल शांत हुआ और समिति के सदस्य शांति के साथ मिट्टी लेकर वापस रवाना हुए। स्थानीय लोगों और समिति के सदस्यों का मानना है कि इस पवित्र मिट्टी का उपोयग न सिर्फ प्रतिमा निर्माण में हो, बल्कि दोनों राज्यों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को भी नई दिशा मिलेगी। बिरसा मुंडा के विचारों, उनकी वीरता और उनके संघर्ष की गूंज अब छत्तीसगढ़ की धरती पर भी सुनाई देगी। यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी और दोनों राज्यों के बीच एकता और सम्मान की भावना को और प्रगाढ़ करेगी। एसजीवीएस अस्पताल के निदेशक और पद्मभूषण कड़िया मुंडा के निकट सहयोगी डॉ निर्मल सिंह ने रविवार को प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से यह जानकारी दी।

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