जमशेदपुर/ Ashtavakragita Ek Mimamsa: सिंहभूम जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन/ तुलसी भवन द्वारा संस्थान के मानस सभागार में नगर के वरीय एवं ख्यातिलब्ध साहित्यकार अनिरुद्ध त्रिपाठी ‘अशेष’ कृत ‘मानस के आलोक में ‘अष्टावक्रगीता : एक मीमांसा’ (भाग – एक) का लोकार्पण किया गया।
अध्यक्षता रांची विश्वविद्यालय के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डाॅ जंग बहादुर पांडेय ‘तारेश’ तथा संचालन साहित्य समिति की उपाध्यक्ष डाॅ वीणा पांडेय ‘भारती’ ने की। इस मौके पर समाजसेवी शिव शंकर सिंह बतौर मुख्य अतिथि तथा टाटा मोटर्स के पूर्व उप महाप्रबंधक डाॅ चंद्रेश्वर खां विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित रहे, जबकि तुलसी भवन के न्यासी अरुण कुमार तिवारी, अध्यक्ष सुभाष चंद्र मूनका मंचासीन रहे।
इस अवसर पर स्वागत वक्तव्य संस्थान के मानद महासचिव सह समिति के अध्यक्ष डाॅ प्रसेनजित तिवारी एवं धन्यवाद ज्ञापन समिति के ब्रजेंद्र नाथ मिश्र द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का आरंभ माधवी उपाध्याय के सरस्वती वंदना के बाद अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन तथा मां सरस्वती के चित्र पर पुष्पार्पण द्वारा किया गया। तत्पश्चात मंचासीन अतिथियों द्वारा “मानस के आलोक में अष्टावक्रगीता : एक मीमांसा” (भाग-1) का लोकार्पण किया गया। लोकार्पित पुस्तक पर पाठकीय प्रतिक्रिया देते हुए दिव्येंदु त्रिपाठी ने कहा कि यह पुस्तक रामचरित मानस के आलोक में अष्टावक्र गीता की विलक्षण व्याख्या करती है।
विषय को बहुत ही सरल तथा सरस तरीके से समझाया गया है। मुख्य अतिथि शिव शंकर सिंह ने कहा कि यह पुस्तक निश्चित रूप से उपयोगी है। आजकल पुस्तकों का प्रकाशन बहुत कठिन हो गया है। ऐसे में अशेष जी की पुस्तकों का आना स्वागत योग्य है। विशिष्ट अतिथि डाॅ चंद्रेश्वर खां ने पुस्तक को पठनीय बताते हुए कहा कि यह पुस्तक अध्ययन करने योग्य है। इस पर अनुसंधान तथा समीक्षा होनी चाहिए।
कार्यक्रम में रचनाकार का साहित्यिक परिचय गद्य रुप में हरिहर राय चौहान तथा पद्य रुप में यमुना तिवारी व्यथित ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मुख्य रुप से डाॅ रागिनी भूषण, डाॅ अजय कुमार ओझा, राम नंदन प्रसाद, विमल जालान, कन्हैया सिंह सदय, माधव पांडेय निर्मल, डाॅ संजय पाठक सनेही, कन्हैया लाल अग्रवाल, शकुंतला शर्मा, वीणा कुमारी नंदिनी, सुरेश चंद्र झा, शैलेंद्र पांडेय शैल, शिवनंदन सिंह, वरुण प्रभात, दिलीप ओझा, जूही समर्पिता, शैलेंद्र अस्थाना, ज्योत्सना अस्थाना, अरविंद विद्रोही, चंद्रकांत, अशोक शुभदर्शी, पुनम महानंद, माधुरी मिश्रा एवं दिनेश चंद्र पांडेय समेत शताधिक साहित्यकारों की उपस्थिति रही।
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