नई दिल्ली : कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बुधवार को झारखंड के गोड्डा और जमशेदपुर के औद्योगिक क्षेत्रों के बीच सरकार की नीति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि गोड्डा में अदाणी पावर के एसईजेड (Special Economic Zone) प्रोजेक्ट को 2019 में त्वरित मंजूरी मिल गई, जबकि जमशेदपुर के महत्वपूर्ण औद्योगिक केंद्र, आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र का आधे से ज्यादा हिस्सा 2015 से नियामकीय कारणों से लटका हुआ है। यह स्थिति प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करती है, ऐसा दावा जयराम रमेश ने किया।
जमशेदपुर के औद्योगिक क्षेत्र में अनिश्चितता
रमेश ने आरोप लगाया कि जमशेदपुर के औद्योगिक केंद्र आदित्यपुर में स्थित 1,200 इकाइयों में से अधिकांश परियोजनाएं नियामकीय अनिश्चितता के कारण प्रभावित हो रही हैं। उन्होंने बताया कि आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र में कुल 276 एकड़ का एसईजेड निर्धारित किया गया था, लेकिन इसमें से 54 एकड़ वन भूमि को लेकर राज्य सरकार को स्पष्टीकरण देना पड़ा था। इसके चलते परियोजनाओं की गति धीमी हो गई है और विकास बाधित हो रहा है। रमेश ने कहा, “यह दुखद स्थिति इस बात को दर्शाती है कि मोदी सरकार ने वन और पर्यावरण मंजूरी के मामले में गंभीर देरी की है, जो राज्य के विकास के लिए हानिकारक है।”
गोड्डा में अदाणी के प्रोजेक्ट को त्वरित मंजूरी
इससे उलट, रमेश ने यह भी आरोप लगाया कि गोड्डा में अदाणी पावर को 2019 में बिना किसी कठिनाई के एसईजेड प्रोजेक्ट को मंजूरी दी गई थी। उनका कहना था कि यह स्पष्ट रूप से सरकार की प्राथमिकताओं का संकेत है, जहां एक ओर बड़े औद्योगिक घरानों को बिना किसी रुकावट के मंजूरी मिल जाती है, वहीं स्थानीय उद्योगों को बिना ठोस कारण के लटकाया जाता है।
जमशेदपुर के लोगों का समर्थन
जयराम रमेश ने विश्वास जताया कि जमशेदपुर के लोग बन्ना गुप्ता (जमशेदपुर पश्चिम) और अजय कुमार (जमशेदपुर पूर्व) जैसे नेताओं को वोट देंगे, जो उनके हितों के लिए खड़े हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले चरण में बुधवार को जमशेदपुर के दोनों विधानसभा क्षेत्रों में मतदान हुआ। रमेश ने कहा कि कांग्रेस उम्मीदवारों के पास स्थानीय मुद्दों और विकास को लेकर एक मजबूत दृष्टिकोण है।