Ranchi / Jamshedpur (Jharkhand) : झारखंड में हाल ही में घोषित हुए मैट्रिक के परीक्षा परिणाम में राज्यभर का औसत रिजल्ट 91.71 प्रतिशत रहा, जिसे लेकर सरकार ने सराहना भी बटोरी। लेकिन इस सफलता के बीच, कुछ ऐसे विद्यालय भी रहे जिनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। राज्य के 61 ऐसे स्कूल हैं जहां मैट्रिक का रिजल्ट या तो शून्य रहा या 50 प्रतिशत से भी कम। इन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों पर अब गाज गिरने वाली है, और उनकी नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
सात स्कूलों से मिली निराशा, सभी विद्यार्थी हुए फेल
- मॉडल स्कूल, पालजोरी, गुमला
- उत्क्रमित हाई स्कूल, शिकारीपाड़ा, दुमका
- आर मित्रा हाई स्कूल, देवघर
- मिथिला हाई स्कूल, सोनारी, पूर्वी सिंहभूम
- गवर्नमेंट हाई स्कूल, बिरसा नगर, पूर्वी सिंहभूम
- माइकल जान गर्ल्स हाई स्कूल, गोलमुरी, पूर्वी सिंहभूम
- उत्क्रमित हाई स्कूल, सोनगरा, पश्चिमी सिंहभूम
54 स्कूलों का रिजल्ट 50 प्रतिशत से कम
इन सात स्कूलों के अलावा, राज्य के 54 अन्य ऐसे विद्यालय हैं जिनका रिजल्ट 50 प्रतिशत से भी कम रहा है। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने इन सभी 61 स्कूलों के प्रधानाध्यापकों या प्रभारी प्रधानाध्यापकों से स्पष्टीकरण मांगा है। इसके साथ ही, शत प्रतिशत और 50 प्रतिशत से ज्यादा थर्ड डिवीजन वाले सात स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को भी कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए गए हैं।
किस जिले में कितने स्कूलों का रिजल्ट खराब
50 प्रतिशत से कम रिजल्ट वाले स्कूलों में रांची (6), गुमला (6), लोहरदगा (1), सिमडेगा (3), खूंटी (2), हजारीबाग (1), गिरिडीह (2), धनबाद (2), कोडरमा (1), रामगढ़ (3), गढ़वा (3), लातेहार (2), दुमका (2), देवघर (2), पश्चिमी सिंहभूम (15), सरायकेला (1) और गोड्डा (2) जिले शामिल हैं।
शिक्षा सचिव ने डीईओ को दिए जांच के निर्देश
शिक्षा सचिव उमाशंकर सिंह ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) को कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिला शिक्षा अधीक्षक और अतिरिक्त जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को भी इन सात और 54 विद्यालयों की गहन जांच करने का आदेश दिया है। अधिकारियों को 19 जून तक इन 61 विद्यालयों का मौके पर जाकर निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट ई-विद्यावाहिनी पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा गया है।
शिक्षकों की पर्याप्त संख्या के बावजूद खराब प्रदर्शन
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इन सभी स्कूलों में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या कार्यरत थी। शिक्षा सचिव ने इस पर भी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या के अनुपात में शिक्षकों की पर्याप्त संख्या होने के बावजूद शत-प्रतिशत और 50 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थियों का अनुत्तीर्ण होना एक अत्यंत गंभीर मामला है।
प्राचार्यों से मांगा गया स्पष्टीकरण, शिक्षकों को अंतिम चेतावनी
शिक्षा सचिव ने निर्देश दिया है कि संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी इन सात और 54 विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों और प्रभारी प्रधानाध्यापकों से विस्तृत स्पष्टीकरण प्राप्त करें और उन्हें अन्यत्र स्थानांतरित कर उनके खिलाफ अन्य अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करें।
इसके अलावा, शिक्षा सचिव ने कहा कि जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या कम और पर्याप्त शिक्षक होने के बावजूद विद्यार्थियों का तृतीय श्रेणी में उत्तीर्ण होना भी अत्यंत चिंताजनक है। उन्होंने संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इन विद्यालयों के शिक्षकों से भी स्पष्टीकरण मांगने और उन्हें परीक्षाफल में सुधार के लिए अंतिम चेतावनी जारी करने का निर्देश दिया है। शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षकों को अंतिम चेतावनी दी जा रही है, लेकिन यह मामला राज्य की शिक्षा व्यवस्था की स्थिति पर कई सवाल खड़े करता है और सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।