कोयलानगरी का लौहनगरी से ऐसा संबंध जुड़ गया है कि अब यह रिश्ता शायद चुनाव परिणाम आने के बाद ही समाप्त हो। छह दिन पहले यूपी से बुलडोजर मंगाने का ऑर्डर देकर अपने चाचा इंतजार कर रहे हैं। उधर, जिन्हें कोयलानगरी वालों ने पहले रिजेक्ट कर दिया था, वह अब भी बने हुए हैं। मतदाता असमंजस में पड़ गए हैं कि वे किसे चुनें। कल तो सड़क पर ताली बजाते और नाचते हुए ‘मेरे अंगने में तुम्हारा क्या काम है…’ जैसा गाना और दृश्य मतदाताओं को आह्लादित कर गया।
गिव एंड टेक फार्मूला
अपनी लौहनगरी में ऐसा लग रहा है कि इस बार भी गिव एंड टेक फार्मूला ही चल रहा है। ‘आप मुझे एक दें, हम चार दिला देंगे’ की तर्ज पर समझौता हो चुका है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि पिछली बार भी यहां ऐसा ही समझौता हुआ था, जो कारगर भी रहा। एक बड़े लड्डू के बदले चार छोटे लड्डू तोहफे में मिल जाएं तो क्या गलत है। यही कारण है कि लौहनगरी में बड़े नेताओं ने चुनावी डुगडुगी बजाने की जरुरत ही नहीं समझी। ऊपर ही ऊपर टाटा-टाटा… करके उड़ गए।
अखाड़े में दो-दो नारी
अपने पड़ोस की लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला देखने को मिल रहा है। कोयलानगरी में एक नारी ने सबकी बोलती बंद कर रही है, जबकि यहां तो दो-दो नारी आमने-सामने अखाड़े में उतर गई हैं। उनके सामने अब कोई पुरुष हाथ आजमाने की बात भी नहीं सोच रहा है। कोरम के लिए एक दर्जन उम्मीदवार बच गए हैं। उन्होंने भी अभी से सोच लिया है कि दोनों नारियों से बचा-खुचा कुछ मिल गया तो विधानसभा में किस्मत आजमाएंगे।
फिर चल रहा बड़ा हथौड़ा
अदालत की चेतावनी पर एक बार फिर शहर में बड़ा हथौड़ा चल रहा है। मजे की बात है कि जो हथौड़ा लेकर अतिक्रमण हटाने जा रहे हैं, सब उन्हीं का किया-धरा है। इन्हें भी अपनी बनाई इमारत पर हथौड़ा चलाने में संकोच हो रहा है। कागज पर न सही, दिल तो गवाही दे ही रहा है कि अपने बनाए घर को कैसे तोड़ें। इसीलिए अदालत को दिखाने लायक छज्जा-सीढ़ी, बालकनी आदि ढहाकर वीडियो शूट कर ले रहे हैं। एक-एक बिल्डिंग पर अब तक कितनी बार हथौड़ा चल चुका है, अब उन्हें भी याद नहीं है।
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