गोरखपुर : गोरक्षनगरी में चल रहे दो दिवसीय गोरखपुर लिटरेरी फेस्टिवल के दूसरे दिन प्रसिद्ध अभिनेता व लेखक मकरंद देशपांडे ने खचाखच भरे हॉल में समां बांध दिया। फेस्टिवल के गुफ्तगू सत्र में बतौर अतिथि मॉडरेटर शुभेंद्र सत्यदेव के साथ बातचीत करते हुए कहा कि मैंने सोचा था कि मुझे कुछ ऐसा करना ही नहीं है, जहां से रिटायर होना है।

उन्होंने कहा कि मुझे आज भी नहीं पता कि मेरा करिअर क्या है। मुझे इतना पता है कि जब रात को सोता हूं तो दिन भर क्या किया इसका बोझ नहीं होता है। सुबह उठना हो तो क्या करना है यह भी बोझिल मन से नहीं करता। बचपन में क्रिकेटर था, स्कूल में एक बार एक्टिंग की थी। कॉलेज में बतौर क्रिकेटर दाखिल हुआ। क्लब के लिए ऑस्ट्रेलिया भी गया था। किसी भी चीज को पकड़े रहते हो तो थोड़ा ही जानते हो, लेकिन जब छोड़ देते हो तो बहुत कुछ जान जाते हो। करिअर के लिए आप ऐसी जगह चले जाओ जहां पर आपको कुछ पता ही नहीं है।
कला और संस्कृति न रहे तो टूट जाएंगे सारे पुल
अभिनेता मकरंद ने कहा कि जीवन जीने के लिए आपको कुछ नहीं करना है, बस जीवन के साथ रहना है। जीवंतता कायम रखनी है। यदि कला और संस्कृति न रहे तो तमाम पुल टूट सकते हैं। आपके साथ जो घट रहा है, उसे आप कैसे देखते हो यह महत्वपूर्ण है। उसे सुंदर बनाना आपका दायित्व है। इसी प्रकार भाव वह है जो अभी उमड़ रहा है, वह कुछ दिन तक रह गया तो समझ लो कि वह रस बनने लगा है।

हिंदुस्तान का निवासी होना नसीब की बात
उन्होंने कहा कि जीवन कला से ऊपर है। जिस दिन जीवन के साथ हो गए, सारी कलाएं स्वतः शामिल हो जाएंगी। मैं हिंदुस्तान का निवासी हूं, यह नसीब की बात है। उपनिषद, भागवत रामायण ऐसे ग्रंथ पढ़ने के बाद एक बात समझ में आई की ड्रामा कहां है। ड्रामा मात्र उस में नहीं है, जहां दिख रहा है, यह हर घटना में, हर अनुभव में है।
मैं रोल नहीं चुनता, उसके लिए तैयार रहता हूं
अभिनेता ने कहा कि मेरा कोई सपना नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि धीरे-धीरे मेरे पास सब कुछ आ रहा है। मैं रोल चुनता नहीं हूं बल्कि रोल के लिए तैयार होता रहता हूं। उसके बाद लोग मुझे कास्ट कर लेते हैं। इस सत्र में अतिथि एवं मॉडरेटर का सम्मान राजेश कुमार सिंह और रेनू सहाय ने किया।