लखनऊ,स्टेट डेस्क : उत्तर प्रदेश में एक बार फिर अपराधियों ने कानून व्यवस्था को चुनौती दी है। देवबंद में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर पर जानलेवा हमला हुआ है। गोली उनकी कमर में लगी है। घायल अवस्था में चंद्रशेखर को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बताया जा रहा है कि हमला उस वक्त हुआ, जब भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर अपनी कार से किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने जा रहे थे। इसी दौरान कुछ लोगों ने उसकी कार पर फायरिंग कर दी।
एसपी देहात सागर जैन ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद देवबंद की गांधी कॉलोनी में किसी से मिलने गए थे। वहां से निकलते समय दो युवकों ने उन पर फायरिंग कर दी। गोली के छर्रे लगने से वह जख्मी हो गए। हमलावर एक कार में सवार होकर फरार हो गए। उपचार के लिए उन्हें देवबंद के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस हमलावरों की तलाश में लगी है।
घटना से समर्थकों में नाराजगी, प्रशासन अलर्ट
चंद्रशेखर पर हुए जानलेवा हमले से समर्थकों में भारी नाराजगी है। घटना की जानकारी मिलने के बाद हजारों की संख्या में समर्थक अस्पताल पहुंच गये हैं। हमलावारों पर कार्रवाई की मांग की जा रही है। कहा जा रहा है कि चंद्रशेखर की हत्या की साजिश रची गयी थी। पुलिस प्रशासन की ओर से भीम आर्मी चीफ को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया नहीं करायी गयी थी। इस बीच घटना के कारण कानून व्यवस्था के समक्ष पैदा होने वाले संभावित संकट को देखते हुए प्रशासन अलर्ट मोड़ पर आ गया है। घटनास्थल सहित आसपास के क्षेत्राें में सुरक्षा बढ़ा दी गयी है। पुलिस ने पूरे मामले की जांच के लिए टीम का गठन कर दिया है।
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क्या भीम आर्मी और कौन हैं चंद्रशेखर
भीम आर्मी एक बहुजन संगठन है। जिसे भारत एकता मिशन भी कहा जाता है। यह दलीत चिंतक सतीश कुमार के दिमाग की उपज है। इसे 2014 में चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण और विनय रतन आर्य ने हाशिए वाले वर्गों के विकास के लिए स्थापित किया। संगठन के चीफ चंद्रशेखर का जन्म सहारनपुर में चटमलपुर के पास धडकूली गांव में हुआ था। चंद्रशेखर ने जिले के स्थानीय कॉलेज से कानून की पढ़ाई की। वह वर्ष 2015 में तब विवादों में घिरे थे, जब उन्होंने अपने मूल स्थान पर एक बोर्ड लगाया था। जिसमें धडकाली वेलकम यू द ग्रेट चमार्स लिखा था।
इस कदम ने गांव में दलितों और ठाकुरों के बीच तनाव पैदा कर दिया था। चंद्रशेखर ने सोशल मीडिया में काफी सुर्खियां बटोरी हैं। उन्होंने फेसबुक और वाट्सएप के जरिये लोगों को भीम आर्मी से जोड़ने का काम किया। उत्तर प्रदेश की राजनीति मेें बहुजन समाज पार्टी के कमजोर होते प्रभाव के बीच चंद्रशेखर को दलितों की नयी आवाज माना जा रहा है।


