नयी दिल्ली : एक शख्स ने महज 4 हजार रुपयों में खरीदी एक पुरानी जर्जर कुर्सी को जब नीलाम किया तो उसकी कीमत से लोगों को होश उड़ गये. दरअसल, उसने अपनी पारखी नजरों से कुर्सी की कीमत का अंदाजा लगा लिया था जो उसे बेकार समझकर 4000 रुपये में बेचने वाले नहीं समझ सके. कई बार हम कुछ चीजों को बहुत मामूली और बेकार समझकर फेंक देते हैं. वहीं कुछ लोग उससे ऐसा फायदा निकाल लेते हैं कि किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होता है. एक टिकटॉकर जस्टिन मिलर को फेसबुक मार्केटप्लेस पर एक पुरानी चमड़े की कुर्सी मिल गयी. बहुत साधारण सी दिखने वाली इस कुर्सी को देखा तो उन्हें लगा उन्हें जैकपॉट मिल गया है और तुरंत उन्होंने उसे खरीद लिया. मिलर ने $50 (4000 रुपये) की कुर्सी खरीदी और कुर्सी को नीलामी में 2000 गुना से अधिक कीमत पर बेच दिया. मिलर ने कुर्सी की अहमियत को बारीकी से पहचान लिया था लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि इससे उन्हें इतनी बड़ी डील रकम मिल सकती है. मिलर ने बताया,कि मैंने एंटिक्स रोड शो का शायद हर एक एपिसोड देखा है. उन्होंने कहा कि मैं एंटिक्स को बहुत अच्छे से समझता हूं. मैं कोई एक्सपर्ट नहीं हूं, लेकिन मेरी नजरों ने इस कुर्सी को परख लिया था. यह वास्तव में एक दिलचस्प कुर्सी दिखती है. दरअसल कुछ समय पहले उन्होंने ऐसी दो कुर्सियां $200,000 (1.6 करोड़ रुपये से अधिक) में खरीदी थीं इसलिए वे समझ गये थे कि इस कुर्सी के लिए उन्हें अच्छी खासी कीमत मिल जायेगी. वह इसकी नीलामी के लिए फाइन आर्ट कंपनी सोथबी के पास पहुंचे. लिस्टिंग के मुताबिक, उनको उम्मीद थी कि कुर्सी की कीमत 30,000 डॉलर (करीब 25 लाख रुपये) तक में बिक जायेगी, पर बोली 85,000 डॉलर (70 लाख रुपये) तक पहुंच गयी. और आखिरकार खरीदार ने कुर्सी के लिए $100,000 (82 लाख रुपये से अधिक) का भुगतान किया. हालांकि, बेचने से पहले उन्होंने कुर्सी की मरम्मत भी करवाई थी जिस पर उन्हें लगभग $3000 (लगभग 2.5 लाख रुपये) का खर्च आया. लेकिन फिर भी ये बहुत बड़ी डील थी.
नयी दिल्ली : 4000 रुपये में खरीदी जर्जर कुर्सी, एंटीक बता बेचा 82 लाख रुपये में
written by Rakesh Pandey
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Rakesh Pandey
प्रिंट और डिजिटल पत्रकारिता में 17 वर्षों से ज्यादा समय से सक्रिय. जर्नलिज्म में डिग्री। 2002 में सन्मार्ग, सलाम दुनिया, प्रभात खबर, ईटीवी और सूत्रकार में काम करने का अनुभव. हेल्थ, खेल और जनरल विषयों पर रिपोर्टिंग और डेस्क का काम. संगीत, रंगकर्म और लोक संस्कृति में दिलचस्पी

