बेंगलुरु : कांग्रेस अभी अपनी पार्टी को मजबूत करने के लिए जोर-शोर से काम कर रही है। हाल ही में हैदराबाद में कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई, जिसमें कई निर्णय लिए गए लेकिन इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक बड़े नेता के दावे से कर्नाटक में हड़कंप मच गया है। दरअसल, कर्नाटक के कांग्रेस MLC (Member of Legislative Council) बीके हरिप्रसाद को हैदराबाद में आयोजित कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बोलने नहीं दिया गया। जबकि बीके हरिप्रसाद कर्नाटक के कद्दावर नेता माने जाते हैं। इसी बीच अब भाजपा के एक बड़े नेता ने अपने बयान से खलबली मचा दी है।
हमारे संपर्क में 45 विधायक
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बीके हरिप्रसाद को बोलने नहीं दिया गया, तो भाजपा नेता बसनगौड़ा आर पाटिल (यतनाल) ने कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बीके हरिप्रसाद की वरिष्ठता को महत्व नहीं दिया गया, जिससे वे काफी ज्यादा आहत हैं। आगे उन्होंने यह भी कहा कि जनवरी माह के बाद कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार गिर जाएगी। उन्होंने दावा किया कि उनके संपर्क में 45 विधायक हैं। उनके इस दावे से कर्नाटक की राजनीति में हड़कंप मचा हुआ है।
हरिप्रसाद को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा
कर्नाटक के भाजपा नेताओं ने कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद को लगातार नजरअंदाज किया जा रहा है, जिससे वे काफी ज्यादा आहत हैं। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में बीके हरिप्रसाद, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया व उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार भी पहुंचे थे लेकिन इस दौरान मंच से बीके हरिप्रसाद को बोलने नहीं दिया गया। जबकि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया व उप-मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बोलने का मौका दिया गया।
मंत्री नहीं बनाए जाने से भी नराज
कहा जा रहा है कि जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी तब वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद को मंत्री बनने की पूरी संभावना थी लेकिन उस दौरान भी उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। इस कारण से भी वे पार्टी से नाराज व आहत हैं। अब देखने वाली बात है कि उनका अगला कदम क्या होता है।
बीके प्रसाद वर्तमान में क्या हैं?
बीके हरिप्रसाद एमएलसी हैं। ऐसे में आपको बता दें कि MLC का फुल फॉर्म Member of Legislative Council होता है। अधिकांश लोग इस पद को MLA ही समझ लेते हैं लेकिन यह उससे अलग होता है। MLA का पूरा फुलफॉर्म Member of Legislative Assembly होता है।
MLC क्या होता है?
आपको एमएलसी व एमएलए में अंतर समझना भी जरूरी है। अधिकांश लोग इसे लेकर भ्रमित रहते हैं तो आइए इसके बारे में हम आपको बताते हैं। एमएलसी किसी राज्य के विधान परिषद् का सदस्य होता है। जबकि एमएलए किसी राज्य की विधान सभा का सदस्य होता है।
दोनों पद के लिए उम्र भी अलग-अलग
एमएलए व एमएलसी चुने जाने का उम्र भी अलग-अलग है। ऐसे में आपको इसकी जानकारी होना जरूरी है। खासकर युवा और राजनीति करने वालों को जानना चाहिए। चूंकि, कई बार यह सवाल विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षा में भी पूछे जाते हैं। वहीं, राजनीति करने वालों को इसकी जानकारी गहराई से होनी चाहिए। एमएलए चुने जाने के लिए न्यूनतम उम्र 25 वर्ष होती है जबकि एमएलसी चुने जाने की न्यूनतम उम्र 30 साल होती है।
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एमएलए व एमएलसी का चुनाव कैसे होता है?
आपके मन में यह भी सवाल चलते होंगे कि एमएलए व एमएलसी का चुनाव कैसे होता है। इनका क्या-क्या कार्य होता है? कितने वर्ष का कार्यकाल होता है। ये सारे सवाल आपके मन में चलते होंगे। तो आइए इसके बारे में भी आपको बताते हैं। दरअसल, एमएलए का निर्वाचन सीधे तौर पर जनता करती है। जबकि एमएलसी का चुनाव अप्रत्यक्ष होता है। एमएलए का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है। जबकि एमएलसी की कार्यावधि छह साल की होती है। दोनों के बीच लगभग यही अंतर होता है।