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Kanwar Yatra 2024: सावन में भोले बाबा की नगरी देवघर तैयार, जानिए क्यों निकाली जाती है कांवड़ यात्रा, क्या है इसका इतिहास

by Rakesh Pandey
Kanwar Yatra 2024
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देवघर/Kanwar Yatra 2024: 22 जुलाई से सावन शुरू हो रहा है। ऐसे में झारखंड के देवघर में विशेष तैयारी चल रही है। भोले बाबा की नगरी लगभग सजधज कर तैयार हो चुकी है। सावन के मौके पर यहां रोजाना लाखों शिवभक्तों की भीड़ होती है। देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं। ऐसे में श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी नहीं हो इसका विशेष ख्याल रखा जाता है।

बाबा बैद्यनाथधाम के नाम से प्रसिद्ध यहां का शिव मंदिर द्वादश ज्योतिर्लिंग में सर्वाधिक श्रेष्ठ माना जाता है। सावन महीने में प्रतिदिन करीब एक लाख शिवभक्त मनोकामना शिवलिंग पर जलार्पण करते हैं। सबसे अधिक सोमवार को भीड़ उमड़ती है। चूंकि, सावन के सोमवारी होने के नाते अधिकांश लोग इसी दिन जल चढ़ाना चाहते हैं।

Kanwar Yatra 2024: कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व

सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। सुल्तानगंज से श्रद्धालु गंगाजल भरकर देवघर जाते हैं। करीब 120 किलोमीटर पैदल चलकर बाबा भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। कई लोग बिना रुके 24 घंटे के अंदर भी जल चढ़ाने पहुंचने हैं। उन्हें डाक बम कहा जाता है। है। सुल्तानगंज से देवघर तक 24 घंटे श्रद्धालुओं की यात्रा जारी रहती है। ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा से भोले बाबा खुश होते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। कांवड़ यात्रा के दौरान शिवभक्तों को विशेष नियम का पालन करना पड़ता है।

Kanwar Yatra 2024: कांवड़ यात्रा का इतिहास

कांवड़ यात्रा में लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं लेकिन अधिकांश लोगों को इसका इतिहास पता नहीं होता, तो आइए हम आपको इसके इतिहास से अवगत कराते हैं। दरअसल, कहा जाता है कि भगवान परशुराम ने सबसे पहली कांवड़ यात्रा निकाली थी और वे पहले कांवड़िया थे।

भगवान परशुराम ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए गढ़मुक्तेश्वर से गंगाजल ले जाकर भगवान शिव का जलाभिषेक किया था, तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी। इसके बाद हर साल सावन के मौके पर विशेष रूप से कांवड़ यात्रा निकाली जाती है।

 

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